चुनाव से पहले किसानों को दी जा सकती है मुफ्त बिजली

  • उपभोक्ता परिषद ने फार्मूला देने की पेशकश की

लखनऊ। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि कुछ राज्यों की तरह यूपी में भी किसानों को आसानी से मुफ्त बिजली दी जा सकती है। परिषद का कहना है कि ऐसा करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। परिषद ने किसानों को मुफ्त बिजली देने के लिए सरकार को फार्मूला देने की पेशकश भी की है। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि चुनाव नजदीक आते ही मुफ्त और सस्ती बिजली की सियासत तेज हो जाती है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, तमिलनाडु व तेलंगाना में किसानों को मुफ्त बिजली दी भी जा रही है। हरियाणा व पुडुचेरी में किसानों की दर न के बराबर है।

दूसरी तरफ यूपी में ग्रामीण क्षेत्र में अनमीटर्ड किसानो की दर 170 रुपये प्रति हॉर्स पावर तथा मीटर्ड की 70 रुपये प्रति हॉर्स पावर व विद्युत मूल्य 2 रुपये प्रति यूनिट है। शहरी क्षेत्रों में यह 130 रुपये प्रति हॉर्स पावर व विद्युत मूल्य 6 रुपये प्रति यूनिट है। वर्मा ने कहा प्रदेश में कुल 13,16,399 निजी नलकूप उपभोक्ता हैं। इनका कनेक्टेड लोड 79,41,706 किलोवाट है। इनके लिए 14006 मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत होती है । जिसकी कुल लागत लगभग 1845 करोड़ रुपये होती है। किसानों और छोटे घरेलू उपभोक्ताओं को रियायती बिजली के लिए राज्य सरकार 11 हजार करोड की सब्सिडी देती है।

अगर राज्य सरकार किसानों को मुफ्त बिजली देना चाहती है तो उसे 2000 करोड़ रुपये अतिरिक्त सब्सिडी देनी होगी। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा उत्पादन इकाइयों के बकाये पर लगने वाले विलंब भुगतान सरचार्ज को 18 से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया जाए तो इससे 700-800 करोड़ की बचत हो सकती है। साथ ही महंगी बिजली खरीद पर पाबंदी लगाकर 1000 करोड़ रुपये बचाए जा सकते हैं। इससे किसानों को मुफ्त बिजली का रास्ता खुल सकता है। वर्मा ने कहा कि सरकार चाहे तो परिषद इसका विस्तृत फार्मूला देने को तैयार है।

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