मोदी सरकार ला रही है नया आईटी कानून, प्राइवेसी समेत कई मुद्दों पर है खासा ध्यान

नई दिल्ली। पेगासस मामले के बाद देश में एक बार फिर बवाल हो गया है। इससे पहले इसी साल फरवरी में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मौजूदा आईटी एक्ट 2000 में कुछ और कड़े नियम शामिल किए थे, जिससे कुछ सोशल मीडिया कंपनियों और केंद्र सरकार के बीच काफी तनाव था। खासकर ट्विटर ने हद से ज्यादा अडिय़ल रवैया दिखाया था। इस मामले में कोर्ट को भी दखल देना पड़ा था। अब इसी कड़ी में खबर आ रही है कि सरकार एक नए आईटी कानून पर विचार कर रही है, जिसमें इंटरनेट यूजर्स की प्राइवेसी पर काफी ध्यान दिया गया है. इस घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों के मुताबिक इसमें बिटकॉइन और डार्क नेट जैसे कुछ आधुनिक पहलुओं को भी शामिल किया जा सकता है।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सभी नियमों को शामिल करने के बाद ही नया कानून लागू होगा. इस नए तंत्र में शिकायतें, उनका निवारण और अनुपालन तंत्र और अधिकारी भी शामिल हैं। इन नए कानूनों को लेकर सरकार में बड़े स्तर पर चर्चा चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक उम्मीद है कि नए एक्ट में कुछ ऐसे प्रावधान भी होंगे, जिनमें ब्लॉकचेन, बिटकॉइन और डार्क नेट समेत टेक्नोलॉजी के नए पहलू शामिल होंगे। अधिकारी ने कहा कि पुराने आईटी अधिनियम 2000 को सामान्य धोखाधड़ी, वेबसाइट ब्लॉक करने और फिर अवैध सामग्री को ध्यान में रखते हुए बनाया गया था। अब बदलते समय के साथ बहुत कुछ बदल गया है। इसे विशेषज्ञ भी समझ रहे हैं और उनके मुताबिक पुराने एक्ट को बदलने का कोई मतलब नहीं है. ऐसे में वर्तमान और भविष्य की संभावित स्थितियों से निपटने के लिए ही नया कानून लाया जा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नया कानून ऑनलाइन यौन उत्पीडऩ जैसे कि पीछा करना, धमकाना, फोटो से छेड़छाड़ और अन्य तरीकों के बारे में विस्तार से बताता है। साथ ही इन मामलों में सजा को लेकर भी स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं। यहां यह याद रखना उचित है कि अब तक ऑनलाइन बदमाशी या पीछा करने की कोई कानूनी परिभाषा नहीं है या ऑनलाइन यौन उत्पीडऩ के अन्य रूपों जैसे अवांछित टिप्पणियों, फोटो से छेड़छाड़, किसी की सहमति के बिना किसी की व्यक्तिगत तस्वीरों को जारी करने के लिए कोई सटीक दंड प्रावधान नहीं है। है। कई कंपनियां इसका फायदा उठाकर ऐसा कर रही हैं, लेकिन यह मामला दर मामला है। इसे समझते हुए पूरे भारत में एक कानून की जरूरत है।
बता दें कि नए आईटी एक्ट से प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए जा रहे कंटेंट को लेकर कंपनियों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी। मौजूदा आईटी अधिनियम की धारा 79 जो सुरक्षा प्रदान करती है वह बहुत व्यापक है। अगर कोई सोशल मीडिया कंपनी अपने प्लेटफॉर्म से पोर्न, अश्लीलता या आतंक या विघटनकारी संदेशों को हटाने के लिए सक्रिय रूप से काम नहीं करती है, तो वे सुरक्षा का दावा नहीं कर सकती हैं। इतना ही नहीं, नए डेटा संरक्षण कानून में सख्त आयु-निर्धारण नीति को भी शामिल किया जा सकता है। इसके तहत अगर बच्चे सोशल मीडिया वेबसाइटों पर साइन अप करते हैं तो इस काम में माता-पिता की अनुमति जरूरी होगी। सोशल मीडिया कंपनियां भी इस योजना का विरोध कर रही हैं, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे हर तरह से इंटरनेट पर सुरक्षित महसूस करें। इसके लिए यह नया कानून एक हद तक कारगर और मददगार होगा।

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