प्रवासी मजदूरों की पीड़ा से संघ आहत : भागवत

  • सरसंघचालक बोले- तीसरी लहर से पहले बचाव के उपाय करें सरकार

चित्रकूट। कोरोना काल में दर-ब-दर हुए प्रवासी मजदूरों के लिए भले सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाएं आई हों, पर उनको हुई तकलीफों की टीस राष्टï्रीय स्वयंसेवक संघ को अब भी है। अखिल भारतीय प्रांत प्रचारकों की चार दिवसीय बैठक के पहले दिन प्रवासी मजदूरों के रोजगार उनके बच्चों की शिक्षा के लिए और प्रयास और बढ़ाने पर बात की गई। कोरोना की संभावित तीसरी लहर से पहले बचाव और उपचार के बंदोबस्त कर लिए जाने पर जोर दिया गया। प्रभु श्रीराम की तपोभूमि में दीनदयाल शोघ संस्थान (डीआरआई) के प्रकल्प आरोग्यधाम सेमिनार हाल में बैठक की शुरुआत सरसंघचालक मोहन भागवत ने सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के साथ की। बैठक संघ प्रमुख के बौद्धिक के दौरान पीड़ा झलकी कि लाकडाउन के दौरान रोजी-रोटी का साधन और आशियाना छोड़कर प्रवासी मजदूरों को कष्ट सहते हुए अपने गांव व कस्बों की तरफ पैदल ही चलना पड़ा। महामारी की जटिलता को समझते हुए वह बिना हो-हल्ला किए शांति से चले गए। उनके कल्याण के उपाय किए गए पर अब भी उनके रोजगार की चिंता करने की जरूरत, उनके बच्चों की शिक्षा का बंदोबस्त करना जरूरी है। मोहन भागवत ने कहा कोरोना से जिन्होंने अपनों को खो दिया, उनको सांत्वना देने के साथ मुश्किल वक्त में स्वयंसेवकों को उनके साथ खड़ा भी रहना होगा।

प्रार्थना करनी चाहिए मुश्किल घड़ी न आए

सर कार्यवाह ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच तैयार रहने की अपेक्षा करते हुए कहा कि प्रार्थना करनी चाहिए कि मुश्किल घड़ी न आए, अगर आए भी तो उसकी पहले से तैयारी कर लेनी चाहिए। उन्होंने अपेक्षा की कि बचाव के बंदोबस्त के साथ उपचार की तैयारी और उसके लिए प्रशिक्षण भी करते रहना होगा। कार्यकारिणी सदस्यों में भैय्या जी जोशी व सुरेश सोनी ने संगठन के बाधित व्यक्ति निर्माण के कार्यों को बदली स्थितियों के बीच फिर से शुरू किए जाने पर विमर्श किया। बैठक में संघ के सभी सदस्य शामिल हैं।

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