डीजीपी के फरमान को इस्पेक्टर मान रहे हैं अपना अपमान

  •  58 की उम्र पार कर चुके इंस्पेक्टर बोले- पेशकार बनाने के फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत
  • आदेश से इंस्पेक्टरों में भारी नाराजगी, थानों में निकाल रहे भड़ास

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के कार्यालय से जारी एक आदेश लेकर इंस्पेक्टरों में भारी नाराजगी है। उनकी यह नाराजगी इंस्पेक्टरों के कई व्हाट्सएप ग्रुप में देखी जा रही है। बीते 31 अगस्त को डीजीपी मुख्यालय की ओर से 58 साल की उम्र पार कर चुके थानों, कार्यालयों में तैनाती के बाद बचे इंस्पेक्टरों को एडिशनल एसपी और डिप्टी एसपी का पेशकार (रीडर) बनाने का आदेश जारी हुआ है। 58 साल की उम्र पार कर चुके इंस्पेक्टर को थाना प्रभारी नहीं बनाया जा सकता है, लिहाजा उन्हें जिलों में पुलिस की अलग-अलग शाखाओं में तैनात किया जाता है। अब जो आदेश मुख्यालय से जारी हुआ है, उसमें तर्क दिया गया कि जिलों में इंस्पेक्टर की संख्या ज्यादा है, इसलिए 58 साल की उम्र पार कर चुके इंस्पेक्टरों को जरूरत के मुताबिक एडिशनल एसपी और डिप्टी एसपी का पेशकार बनाया जाए। जबकि एडिशनल एसपी का पेशकार सब-इंस्पेक्टर और डिप्टी एसपी का पेशकार हेड कॉन्स्टेबल रैंक का होता है। वहीं, डिप्टी एसपी से सिर्फ एक रैंक नीचे होता है इंस्पेक्टर, तो अब इंस्पेक्टर उस पद पर काम करना नहीं चाहते जो हेड कॉन्स्टेबल का होता है। इंस्पेक्टरों के कई व्हाट्सएप ग्रुप में इस आदेश के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली जा रही है। डीजीपी मुख्यालय के इस आदेश को इंस्पेक्टर अपना अपमान मान रहे हैं। जाहिर सी बात है इंस्पेक्टर खुलकर इस आदेश का विरोध नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन अंदरखाने गुस्से से उबल रहे हैं।

कम से कम पदनाम स्टॉफ ऑफिसर होना चाहिए

डीजीपी के डर से इंस्पेक्टरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें पेशकार का काम करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन कम से कम पदनाम सहायक पुलिस उपाधीक्षक या स्टॉफ ऑफिसर होना चाहिए। आदेश में लिखा है कि जिलों में इंस्पेक्टरों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। हाल ही में जिलों के 50 फीसदी थानों की कमान सब-इंस्पेक्टर को देने का आदेश भी जारी हुआ था, उससे भी इंस्पेक्ट नाराज चल रहे हैं।

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