चुनौती राहुल गांधी के नहीं, भाजपा के सामने

4पीएम की परिचर्चा में उठे कई सवाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राहुल गांधी ने कांग्रेस का अध्यक्ष बनने से मना कर दिया है इससे जितनी बैचेनी कांग्रेस में है उससे ज्यादा भाजपा में है। राहुल के इस फैसले से भाजपा खुश है या दुखी? इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार अजय शुक्ला, सुशील दुबे, शीतल पी सिंह, अनिल सिन्हा, अनुपम मिश्रा और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा ने एक लंबी परिचर्र्चा की।
अनिल सिन्हा ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का रिएक्ïशन आ रहा है। चुनौती अब राहुल गांधी के सामने नहीं बल्कि भाजपा के सामने है। आडवाणी की यात्रा भी लोगों की याद होगी। राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राजनीति को उलट-पुलट दिया है। राहुल अध्यक्ष बनने वाले नहीं है। गहलोत अध्यक्ष बन सकते हैं। अनुपम मिश्रा ने कहा कि राहुल गांधी से उम्मीद की जाती हैं तो ही उनको जिम्मेदार ठहराया जाता है। अशोक गहलोत ने भाजपा को कई मौके पर मात दी तो कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए गहलोत अच्छा निर्णय होगा। सुशील दुबे ने कहा कि लखनऊ उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में बीते 25 सालों से जो लोग बैठे रहे, आठ लोगों की टीम है। उनका नाम नहीं पीसीसी सूची में। अध्यक्ष के लिए सूची तक नहीं बनी। चुनाव तो दूर की बात है अगर इस देश में फूलनदेवी जीत सकती है। एक बार विधायक बनने के बाद आठ-आठ विभाग मिल सकते हैं मंत्री को तो राहुल गांधी अगर देश के पीएम बन जाते तो कोई बड़ी बात नहीं।
अजय शुक्ला ने कहा कि मणिशंकर अय्यर का एक बयान है कि छोटा आदमी बड़ी बातें सोच ही नहीं सकता। बड़ी बातें सोचने के लिए बड़ा बनना पड़ता है तो ये बात तो सही है। वही स्थिति है कि ये उन पर आरोप लगाते हैं जबकि कांग्रेस पार्टी से ज्यादा लोकतंत्र किसी दूसरी पार्टी में नहीं रहा। कांग्रेस ने गरीब से गरीब को प्रधानमंत्री ही नहीं बनाया, तवज्जो भी दी। शीतल पी सिंह ने भी परिचर्चा में अपने विचार रखे।

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