भाजपा में बढ़ा क्षत्रियों का दबदबा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा ने 75 में से 66 जिलों में जीत दर्ज की है। अगर हम यूपी में जीतने वालों के जातिगत आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा 16 जिला पंचायतें क्षत्रिय समुदाय से आई हैं, जिनमें से 15 ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की है। इसके बाद यादव, कुर्मी और जाट समुदाय के प्रत्याशियों को जीत मिली है, लेकिन उनका आंकड़ा दहाई में नहीं पहुंचा है। साथ ही सपा की पांचों जिला पंचायत सीटों पर सिर्फ यादव समुदाय के नेताओं को जीत मिली है। इस तरह क्षत्रियों का दबदबा बीजेपी में बना हुआ है, जबकि सपा में यादवों का दबदबा रहा है।
यूपी में बीजेपी का कोर वोट बैंक मुख्य रूप से क्षत्रिय, ब्राह्मण और वैश्य समुदाय माना जाता है। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 25 सवर्ण जाति के लोग भाजपा के टिकट पर मैदान में आए हालांकि इस बार सर्वाधिक 16 क्षत्रिय समुदाय के उम्मीदवार जीते हैं, जिनमें से 15 भाजपा के हैं और एक निर्दलीय है। इसके अलावा भाजपा के 6 ब्राह्मण प्रत्याशी, दो भूमिहार और दो वैश समुदाय के जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं। मजे की बात यह है कि यूपी में ब्राह्मण आबादी क्षत्रिय समुदाय से ज्यादा है, लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष की संख्या आधी भी नहीं है।
सुल्तानपुर से उषा सिंह, फीरोजाबाद से हर्षिता सिंह, आगरा से मंजू भदौरिया, अलीगढ़ से विजय सिंह, प्रयागराज से डॉ वीके सिंह, मैनपुरी से अर्चना भदौरिया, कानपुर देहात से नीरज रानी सिंह, फतेहपुर से अभय प्रताप सिंह, गोरखपुर से साधना सिह भाजपा के टिकट पर गाजीपुर से सपना सिंह, उन्नाव से शकुन सिंह, मुरादाबाद से डॉ. सैफाली सिंह, सिद्धार्थनगर से शीतल सिंह, बहराइच से मंजू सिंह और अयोध्या से रोली सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष चुना गया है। इसके अलावा जौनपुर में धनंजय सिंह की पत्नी किरण रेड्डी ने निर्दलीय जीत दर्ज की है।
क्षत्रिय समुदाय के बाद यूपी जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में यादव ने सबसे ज्यादा जीत हासिल की है। इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में यादव समुदाय से 9 प्रत्याशी आए हैं, जिनमें से चार भाजपा के और पांच समाजवादी पार्टी के बैनर तले जीते। मोनिका यादव फर्रुखाबाद से, सम्भल से अनामिका यादव, बदायूं से वर्षा यादव और शाहजहांपुर से ममता यादव भाजपा के टिकट पर जीत मिली है।
इसके साथ ही समाजवादी पार्टी इस बार सिर्फ पांच जिला पंचायत अध्यक्ष ही बना पाई है और पांचों यादव समुदाय से हैं। एटा से रेखा यादव, इटावा से अंशुल यादव, बलिया से आनंद चौधरी, आजमगढ़ से विजय यादव और संत कबीर नगर से बलराम यादव को सपा के टिकट पर जिला पंचायत अध्यक्ष चुना गया है। सपा ने यूपी की 75 सीटों में से करीब तीन दर्जन सीटों पर यादव उम्मीदवार उतारे थे। यादव ने गोरखपुर क्षेत्र की 10 में से 9 सीटों पर प्रत्याशियों पर दांव लगाया था। इनमें से सिर्फ दो सीटें सपा को मिली हैं। यादव को छोडक़र सपा में किसी अन्य समाज का कोई प्रत्याशी नहीं जीत सका। हालांकि पार्टी ने दूसरे समुदाय के प्रत्याशी पर बहुत कम विश्वास जताया था।
यूपी की राजनीति में सपा का कोर वोट बैंक यादव है और योगी के सीएम बनने के बाद क्षत्रिय बीजेपी के हार्डकोर वोटर बन गए हैं। यादव मतदाता यूपी में करीब 10 फीसदी हैं जबकि क्षत्रिय मतदाता करीब 7 फीसदी हैं। इसके बाद भी क्षत्रिय 16 जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए हैं। साथ ही ब्राह्मणों की आबादी करीब 10 फीसद है, जिसमें से 6 जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं।
इसी तरह कुर्मी समुदाय की आबादी 7 फीसद के करीब है, लेकिन इनमें से 8 जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं। यूपी में सबसे बड़ा प्रतिनिधित्व होने के नाते जाटों ने बीजेपी के बैनर तले जीत हासिल की है। यूपी में सिर्फ करीब 3 फीसद जाट हैं, लेकिन वे 8 जिला पंचायत अध्यक्ष बनने में कामयाब रहे। इतना ही नहीं गुज्जर समुदाय से तीन जिला पंचायत अध्यक्ष भी चुने गए हैं। इसके अलावा दो उम्मीदवार भूमिहार और दो वैश समुदाय के हैं।
साथ ही 2 लोध व चौरसिया, लोहार कश्यप, मौर्य व शाक्य समाज से एक-एक जिला पंचायत अध्यक्ष चुनकर आए हैं। इसके अलावा 15 दलित समुदाय से भाजपा के टिकट पर जिला पंचायत अध्यक्ष बनाए गए हैं, जिनमें से 4 पासी, 3 धोबी और 3 कोरी समुदाय से आए हैं। इसके अलावा औरैया में दोहरे को मौका मिला है। चित्रकूट में जाटव समुदाय के जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा से चुने गए जबकि कानपुर, झांसी, सीतापुर में हरिजन जाति के जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा के हैं। कौशांबी में खटीक समुदाय के जिला पंचायत अध्यक्ष बनाए गए हैं। इसके अलावा बागपत से आरएलडी के टिकट पर जाटव समाज के जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं।

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