यूपी में कोरोना का बढ़ता ग्राफ और तंत्र

Sanjay Sharma

सवाल यह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद यूपी में कोरोना की रफ्तार थम क्यों नहीं रही है? क्या लोगों की लापरवाही और प्रशासन की शिथिलता के कारण हालात बदतर होते जा रहे हैं? सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क लगाने की सरकार की अपील बेअसर क्यों हो रही है? क्या मृत्युदर में कमी ने लोगों को भयमुक्त कर दिया है?

पूरे देश में कोरोना ने कोहराम मचा रखा है। अब तक 27 लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि 52 हजार से ज्यादा की मौत हो चुकी है। यूपी में भी कोरोना का दायरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसने शहरों के साथ गांव में भी पांव पसारना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश में अब तक एक लाख 63 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 2585 लोगों की मौत हो चुकी है। सवाल यह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद यूपी में कोरोना की रफ्तार थम क्यों नहीं रही है? क्या लोगों की लापरवाही और प्रशासन की शिथिलता के कारण हालात बदतर होते जा रहे हैं? सोशल डिस्टेंसिंग व मास्क लगाने की सरकार की अपील बेअसर क्यों हो रही है? क्या मृत्युदर में कमी ने लोगों को भयमुक्त कर दिया है? संकटकाल में नागरिक अपने कर्तव्यों का पालन करने में परहेज क्यों कर रहे हैं? क्या सामुदायिक संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है?
उत्तर प्रदेश में अनलॉक के साथ ही कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ा है। अब तो यहां रोजाना चार हजार से अधिक नए केस सामने आ रहे हैं। मौतों का आंकड़ा भी बढ़ गया है। संक्रमण के बढ़ते दायरे को देखते हुए सरकार ने होम आइसोलेशन की व्यवस्था की है। कोविड अस्पतालों में मरीजों की संख्या रोजाना बढ़ रही है। अब यह संक्रमण गांवों तक पहुंच चुका है। दरअसल, लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही और सरकारी तंत्र की उदासीनता के कारण संक्रमण तेजी से बढ़ा है। अनलॉक होने के साथ लोगों की आवाजाही बढ़ी। बाजार और सार्वजनिक स्थलों पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। अस्पतालों तक में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। लोग मास्क तक लगाने से परहेज कर रहे हैं। दूसरी ओर पुलिस-प्रशासन भी गाइडलाइंस का पालन कराने में ढिलाई बरत रही है। गांवों की हालत और भी खराब है। गांवों के प्रभावित इलाकों में सेनेटाइजेशन तक नहीं कराया जा रहा है। मरीजों को होम आइसोलेट कर खानापूर्ति की जा रही है। इससे आसपास के क्षेत्रों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। शहरों में भी यही हाल है। तमाम इलाकों में सेनेटाइजेशन केवल कागजों पर किया जा रहा है। ताजा हालातों से प्रदेश में सामुदायिक संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है। यदि सरकार कोरोना पर नियंत्रण लगाना चाहती है तो उसे न केवल गाइडलाइंस का पालन सख्ती से कराना होगा बल्कि संक्रमण को देखते हुए बेहतर चिकित्सा सुविधाओं का इंतजाम करना होगा। वहीं सेनेटाइजेशन जैसी प्रक्रिया को तेज करना होगा। दूसरी ओर नागरिकों को भी समझना चाहिए कि जनता के सहयोग के बिना कोई भी सरकार महामारी से नहीं निपट सकती है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो स्थितियां बेकाबू हो सकती है।

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