विकास दुबे एनकाउंटर पर सुप्रीम आदेश एक हफ्ते में जांच शुरू करे कमेटी

  • सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएस चौहान की अध्यक्षता में कमेटी करेगी जांच
  • पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता भी कमेटी में शामिल
  • शीर्ष अदालत ने दो माह में मांगी मुठभेड़ की रिपोर्ट

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज बीएस चौहान की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी। इस कमेटी में पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता भी शामिल होंगे। कोर्ट ने कमेटी को एक हफ्ते में जांच शुरू करने और दो माह में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार ने समिति के पुनर्गठन की अधिसूचना का प्रारूप कोर्ट में पेश किया, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बीएस चौहान को जांच कमेटी का हिस्सा बनने के लिए संपर्क किया गया था। जस्टिस चौहान ने सहमति दे दी है। मेहता ने पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता को भी जांच टीम का हिस्सा बनाने का सुझाव दिया, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने निर्देश दिया कि जांच आयोग एक सप्ताह के भीतर काम करना शुरू कर दे और जांच को दो महीने के भीतर समाप्त कर लिया जाए। जांच कमेटी के एक अन्य सदस्य के रूप में हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) शशिकांत अग्रवाल शामिल होंगे। न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने भी अधिसूचना को मंजूरी दे दी और उत्तर प्रदेश सरकार को इसे अधिसूचित करने को कहा। शीर्ष अदालत ने केंद्र को जांच समिति को सचिवीय सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया और कहा कि समिति को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) या किसी अन्य केंद्रीय एजेंसी द्वारा सहायता प्रदान की जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि जांच कमेटी कमीशन ऑफ इन्क्वायरी एक्ट के तहत अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ राज्य सरकार को भी सौंपेगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि जांच कमेटी द्वारा की जाने वाली जांच का दायरा पर्याप्त होना चाहिए। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत कमेटी के हाथों को बांधने के पक्ष में नहीं है और इसके लिए संदर्भ अवधि रखना बुद्धिमानी नहीं होगी। इसमें कहा गया है कि कमेटी को आठ पुलिसकर्मियों की हत्या और उसके बाद हुई मुठभेड़ों में दुबे और उसके कथित सहयोगियों के मारे जाने की घटनाओं की जांच करनी होगी।

क्या कहा सॉलिसिटर जनरल ने

उत्तर प्रदेश की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पैनल उन परिस्थितियों की भी जांच करेगा जिनके तहत गैंगस्टर विकास दुबे को जमानत पर रिहा किया गया था जबकि उसके ऊपर 65 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। हम इसमें राज्य के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई न करने की वजहों का भी पता लगाएंगे।

क्या था मामला

कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में उज्जैन से कानपुर लाने के दौरान भागने की कोशिश में विकास दुबे पुलिस की गोली से मारा गया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल हुईं, जिनमें विकास दुबे और उसके साथियों के मुठभेड़ में मारे जाने की घटनाओं पर सवाल उठाए गए हैं। साथ ही मुठभेड़ कांड की जांच सीबीआई, एनआईए या कोर्ट की निगरानी में एसआईटी से कराए जाने की मांग की गई थी।

पत्रकार हत्याकांड पर विपक्ष आगबबूला, पूछा किसके बलबूते फल-फूल रहे हैं अपराधी

  • राहुल ने कसा तंज, कहा वादा था रामराज का, दे दिया गुंडाराज
  • छेड़छाड़ का विरोध करने पर बदमाशों ने पत्रकार विक्रम जोशी को मार दी थी गोली

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। गाजियाबाद में पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या पर सियासी पारा बढ़ गया है। सपा, बसपा और कांग्रेस ने यूपी में कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा कि वादा था रामराज का, दे दिया गुंडाराज वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सवाल उठाया है कि आखिर किसके बलबूते प्रदेश में अपराधी फलफूल रहे हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि अपनी बेटी के साथ बाइक पर जा रहे एक पत्रकार को गोली मारने से प्रदेश की जनता सकते में हैं। भाजपा सरकार स्पष्ट करे कि कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ानेवाले इन अपराधियों-बदमाशों के हौसले किसके बलबूते पर फल-फूल रहे हैं। बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि यूपी में कानून का नहीं बल्कि जंगलराज चल रहा है।

एसएसपी कलानिधि नैथानी की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
जब से कलानिधि नैथानी ने गाजियाबाद के एसएसपी की कमान संभाली है, यहां की कानून व्यवस्था बिगड़ती ही जा रही है। कुछ समय पहले एडीएम अजय शंकर पांडेय पर जानलेवा हमला हुआ था। उनकी अज्ञात लोगों ने बल्ले से पिटाई कर दी थी। अब दिनदहाड़े पत्रकार को गोली मार दी गई। बढ़ते क्राइम को लेकर नैथानी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। इसके पहले लखनऊ में उनके एसएसपी रहते अपराधियों पर शिकंजा नहीं कसा जा सका था।

पत्नी को नौकरी, बच्चों को शिक्षा और 10 लाख की मदद देगी सरकार: योगी

लखनऊ। बदमाशों की गोली का शिकार हुए पत्रकार विक्रम जोशी की का आज सुबह इलाज के दौरान गाजियाबाद के अस्पताल में निधन हो गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनकी मृत्यु पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने पत्रकार के परिवारीजन को तत्काल 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद, पत्नी को सरकारी नौकरी और बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का ऐलान किया है।

सीओ समेत 11 पुलिसकर्मियों को उम्रकैद

  • 35 साल बाद आया फैसला, मुठभेड़ में मारे गए लोगों को मुआवजा देने का आदेश

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मथुरा। राजा मानसिंह हत्याकांड पर आखिरकार पैतीस साल बाद फैसला आ गया। जिला अदालत ने इस मामले में सीओ समेत हत्या में दोषी करार दिए गए 11 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही राजस्थान सरकार मुठभेड़़ में मारे गए लोगों के परिजनों को 30-30 हजार और घायलों के परिजनों को दो-दो हजार का मुआवजा देगी।
मंगलवार को भरतपुर के राजा मानसिंह और दो अन्य की हत्या मामले में 11 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया गया था। इसमें कान सिंह भाटी, सीओ, वीरेन्द्र सिंह, एसएचओ, रवि शेखर, एएसआई और कांस्टेबल सुखराम, जीवन राम, भंवर सिंह, हरि सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमा राम, जगमोहन शामिल हैं। 21 फरवरी 1985 को हुए इस हत्याकांड की सुनवाई के दौरान 1700 तारीखें पड़ीं और 25 जिला जज बदल गए। 1990 में यह केस मथुरा जिला जज की अदालत में स्थानांतरित किया गया था। 21 जुलाई 2020 को राजा मानसिंह हत्याकांड में निर्णय हो सका था। घटना 21 फरवरी 1985 को डीग विधानसभा के निर्दलीय प्रत्याशी राजा मानसिंह अपनी जीप से चुनाव प्रचार के लिए डीग थाने के सामने से निकले थे। पुलिस ने उन्हें घेर लिया था। ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगी थी। घटना में राजा मान सिंह, उनके साथ सुम्मेर सिंह और हरी सिंह की मौत हो गई थी।

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