धर्मांतरण ही नहीं मकसद तो कुछ और भी था

नई दिल्ली। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आईएसआई) बधिरों की साइन लैंग्वेज को हथियार बनाने की तैयारी कर रही थी। यही कारण है कि विदेशी फंडिंग के साथ किए गए धर्मांतरण में नोएडा बधिर समाज को निशाना बनाया गया। धर्मांतरण रैकेट की जांच में जुटी एजेंसियों की जांच में यह बात सामने आ रही है।
सूत्रों के मुताबिक इन बधिर लोगों को स्लीपर मॉड्यूल में शामिल करने की साजिश थी। अगर ऐसा होता है तो सांकेतिक भाषा समाज में हर किसी के द्वारा आसानी से डिकोड नहीं की जा सकती थी। उन पर किसी को शक नहीं होता। इतना ही नहीं बधिरों से दूसरे स्लीपर मॉड्यूल को भी सांकेतिक भाषा में दक्ष बनाया जाना था। शायद यही कारण है जिसके तहत धर्मांतरण के बाद बधिरों को देश के अन्य राज्यों से भावनात्मक रूप से अटैच कर दिया गया है।
धर्मांतरण के लिए प्रचार करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए दो आरोपी मौलानाओं को रिमांड पर लेकर एटीएस की टीम ने फिर से पूछताछ शुरू कर दी है। इसमें नोएडा की बधिर समाज और दिल्ली के जामिया नगर से चल रहे सेंटर से जुड़े कई सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है।
वहीं जांच का विषय यह भी है कि धर्मांतरण के बाद दूसरे राज्यों में भेजे गए छात्रों को कहां रखा गया था। क्या उसे किसी विशेष प्रशिक्षण शिविर में भेजा गया था? यह बात लगभग सामने आ चुकी है कि धर्मांतरित लोगों को कट्टरता से जोडऩे का हर संभव प्रयास किया जा रहा था। इसके लिए अपने पहले के धर्म और समाज, परिवार के खिलाफ दिमाग में नफरत भर दी गई थी।
मीडिया रिपोर्टïï्स के मुताबिक एटीएस और अन्य एजेंसियों द्वारा कई अभिभावकों से जुटाई गई जानकारी में यह बात सामने आई है। माता-पिता का कहना है कि धर्मांतरण से पहले उनका बच्चा सामान्य था, लेकिन बाद में ऐसा लग रहा था कि उनका मन पूरी तरह से नफरत से भर गया है।
धर्मांतरण रैकेट ने नोएडा बधिर समाज के बच्चों को निशाना बनाया था। क्योंकि कॉरपोरेट फंडिंग से चलने वाली इस सोसायटी को प्रतिष्ठित माना जाता है। इसलिए शायद ही किसी को ऐसी गतिविधि पर शक हो । समाज में पहले पढ़ाने वाले शिक्षक की गतिविधियों को भी कुछ संदेहास्पद कहा जाता है। उसे समाज से भी निकाल दिया गया है। कहा जा रहा है कि इस सोसायटी में पढऩे वाले 18 बच्चों का धर्मांतरण कराया गया था।
सभी धर्मांतरण अलग-अलग समय पर किए गए थे। इसमें और छात्रों को जोडऩे के लिए इस रैकेट द्वारा कुछ वित्त पोषित पर्यटन का भी आयोजन किया गया था । इन टूर में छात्रों पर लाखों रुपये खर्च किए गए। टूर पर जा रहे छात्रों को बताया गया कि समाज में किसी को भी इसकी जानकारी नहीं होनी चाहिए। कुल मिलाकर यह दिखाने का प्रयास किया गया कि धर्म बदलने के बाद जिंदगी पूरी तरह बदल जाएगी। कुछ को डर भी दिखाया गया ।

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