जानते हैं क्या होता कड़ा प्रसाद

कार्तिक पूर्णिमाा संबंध सिर्फ हिन्दू धर्म से ही नहीं है बल्कि इसकी मान्यता सिख धर्म में भी बहुत है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक जयंती, जिसे गुरुपुरब भी कहा जाता है, मनाई जाती है. यह दिन सिख समुदाय के सबसे खास ओर पवित्र दिनों में से एक है. क्योंकि इसी दिन गुरु नानक देव की जयंती मनाई जाती है ऐसा कहा जाता है कि गुरु नानक जो सिखों के दस गुरुओं में से पहले गुरु होने के अलावा सिख धर्म के संस्थापक भी हैं. उनका अविर्भाव इस दिन हुआ था. इस दिन का सिखों के बीच बहुत महत्व है और पूरा समुदाय इस दिन को भव्यता के साथ मनता है.
इस दिन दुनिया भर के गुरुद्वारों सजाया जाता है और वे रोशनी से जगमग कर उठते हैं. इस दिन सिख समुदाय के लोग पूरा दिन सामूहिक रूप से प्रार्थना करते हैं, एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं और सेवा भी करते हैं. वहीं दूसरी ओर ऐसी भी मान्यता है कि पारंपरिक चंद्र कैलेंडर के अनुसार, गुरुपुरब की तारीख हर साल बदलती रहती है. आमतौर पर ये दिवाली के 15 दिन बाद ही पड़ता है, और कार्तिक पूर्णिमा के आसपास ही मनाया जाता है.
इस वर्ष गुरु नानक देव की 552वीं जयंती है. इस साल गुरू जी की जयंती 19 नवंबर को होगी.
पूर्णिमा तिथि शुरूआत- 18 नवंबर 2021 को दोपहर 12:00 बजे से होगी
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 19 नवंबर, 2021 को दोपहर 02:26 होगी

ऐसी मान्यता है कि गुरू नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन 1469 ई. में ननकाना साहिब में हुआ था. गुरू नानक देव को सिख धर्म का संस्थापक कहा जाता है. इसी कारण से उनका जन्म शुभ और दिव्य माना जाता है. गुरु नानक देव द्वारा दी गई शिक्षाओं पर दोबारा गौर करने और उनको अपने अमल में लाने के लिए ही गुरु नानक जयंती मनाई जाती है. जो भी शिक्षाएं नानक जी ने मनुष्यों की दी हैं उनके से प्राथमिक रूप में यानी कि दूसरे शब्दों में कहें तो गुरू नानक जी की प्राथमिक शिक्षाओं में से एक है इक ‘ओंकार’ इसका मतलब है कि ईश्वर एक है. वो हर जगह विद्यमान हैं. गुरु नानक ने भी यह भी शिक्षा दी कि सबसे के साथ प्रेम व सम्मान तथा साथ ही समानता का व्यवहार करना चाहिए.
सिखों का पवित्र ग्रंथ है गुरू ग्रंथ साहिब इसी में गुरु नानक जी के द्वारा दी गई सभी शिक्षाएं व उनके सिद्धांतों का संकल्र देखने को मिलता हे. इनके जन्मदिन से दो दिन पहले उत्सव शुरू होता है, उत्सव के दौरान गुरुद्वारों में अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है. इस अवसर पर गुरुद्वारों में आयोजित गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे तक चलने वाला पाठ होता है. इस दिन की शुरूआत प्रभात फेरी के साथ होती हे. इसके बाद कथा, कीर्तन और लंगर होता है.
संभवत. प्रत्येक लंगर में आमतौर पर चावल, रोटी, दाल, सब्जी और लस्सी परोसी जाती है. वहीं दूसरी अेार हर लंगर में एक चीज आम होती है और वो होता है कड़ा प्रसाद. ये प्रसाद गेहूं, चीनी और घी से तैयार हलवा होता है. इसी को कड़ा प्रसाद कहा जाता है. तो आइए अब आपको बताते हैं कि घर में किस प्रकार आसान तरीके से कड़ा प्रसाद बनाया जा सकता हे.
यदि आप घर पर कड़ा प्रसाद बनाना चाहते हैं तो हमें गेहूं का आटा, घी, चीनी और पानी की जरूरत होगी साथ ही एक भारी तले की कढ़ाई में घी को गरम करें और इसमें कुछ मोटा पिसा हुआ आटा डालें. इसके बाद इसे लगातार चलाते रहें जब तक कि इसका रंग हल्का ब्राउन यानी कि भूरा न हो जाए. जब यह भूरा हो जाएगा तो आप देखेंगे कि इस आटे में से घी बाहर निकलने लगा है. तो फिर इसमें चीनी डाल दें. चीनी घुलने तक इसे फिर से मिलाएं. पानी डालते वक्त ध्यान रखें और साथ ही लगातार इसे चलाते रहें ताकि कहीं कोई गांठ न बने. अब जब हलवा गाढ़ा हो जाए तो आप अपनी गैस बंद कर दें और इसे गर्मागर्म परोस सकते हैं.

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