लो जी नकली वैक्सीन के खिलाफ सरकार ने जारी किया एलर्ट

नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने असली और नकली कोविड-19 वैक्सीन को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अलर्ट जारी किया है। केंद्र सरकार ने इसके लिए कुछ अहम जानकारियां भी साझा की हैं। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के सेवा प्रदाताओं और निगरानी टीमों को नकली कोरोना टीकों की पहचान करने में सक्षम बनाने के उद्देश्य से कुछ मानकों को भी साझा किया है। आपको बता दें कि दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका क्षेत्र में नकली कोविडशील्ड वैक्सीन पर डब्ल्यूएचओ की चिंता व्यक्त करने के बाद सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को असली कोविड वैक्सीन की पहचान के लिए मानदंड भेजे हैं और इस मानदंड को देखकर वैक्सीन के असली या नकली की पहचान की जा सकती है। जानकारी के मुताबिक, कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक वी के असली और नकली टीके की पहचान करने के लिए तीनों टीकों पर लेबल, ब्रांड नाम और उसके रंग की जानकारी साझा की गई है। आपको बता दें कि 2 सितंबर को सभी को लिखे पत्र में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, सभी अतिरिक्त मुख्य सचिवों और प्रमुख सचिवों (स्वास्थ्य) से अनुरोध किया गया था कि उपयोग करने से पहले टीके को सावधानीपूर्वक प्रमाणित करने की आवश्यकता है।
पत्र के माध्यम से सेवा प्रदाता और निगरानी करने वाली टीमों को कोविड-19 टीकाकरण के मानदंडों के बारे में बताया गया है और कहा गया है कि नकली टीकों की पहचान के लिए अधिकतम प्रयास किए जाएं। मूल कोविशील्ड शीशी में गहरे हरे रंग की एल्युमीनियम फ्लिप ऑफ सील और ट्रेडमार्क के साथ ब्रांड नाम में उत्पाद का लेबल शेड है। लोगो लेबल के चिपकने वाली तरफ और एक विशिष्ट कोण पर मुद्रित होता है और इसे केवल कुछ ही लोग पहचान सकते हैं जो इसके बारे में पूरी तरह से जानते हैं। इसके अलावा शीशी के ऊपर लिखे अक्षरों को अधिक पठनीय बनाने के लिए विशेष सफेद स्याही का प्रयोग किया जाता है।
मापदंडों के अनुसार वैक्सीन का पूरा लेबल एक खास कोण पर दिखाई देता है। कोवैक्सीन लेबल में एक अदृश्य यूवी हेलिक्स (डीएनए जैसी संरचना) शामिल है और यह केवल यूवी प्रकाश के तहत दिखाई देता है। इसके अलावा स्पेलिंग में ग्रीन फ़ॉइल प्रभाव दिखाई देगा और की स्पेलिंग में होलोग्राफक़ि प्रभाव दिखाई देगा।
देश में आने वाली रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी को दो अलग-अलग संयंत्रों से आयात किया गया है। ऐसे में दोनों संयंत्रों के स्तर पर निर्माण कंपनी का नाम अलग-अलग दिखाई देगा। इसके अलावा सभी जानकारियां यथावत रहेंगी। साथ ही डिजाइन और डिटेल्स को समान रखा गया है।
बता दें कि इस समय देश में कोविड-19 वैक्सीन प्रोग्राम के तहत पात्र लाभार्थियों को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशिल्ड, भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और रशियन वैक्सीन स्पुतनिक वी की दवा दी जा रही है। नकली टीकों को रोकने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों की जानकारी अधिकारियों को दे दी गई है।

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