टीएमसी सांसद की हरकत से लाल हुए मोदी के कैबिनेट मंत्री

नई दिल्ली। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री और जल शक्ति प्रहलाद सिंह पटेल ने गुरुवार को संसद के ऊपरी सदन, राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद शांतनु सेन की हरकत पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। गरिमा के खिलाफ इस तरह का व्यवहार कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। देश की सर्वोच्च संस्था राज्य सभा में, जो संवाद, चर्चा और आम आदमी की समस्याओं को शालीनता से हल करने का मंच है, यह असीम तांडव छद्म नक्सलवाद के समान है। टीएमसी नेताओं के व्यवहार के कारण यह साजिश देश के सामने आई है। संसद की मर्यादा का अपमान करने वालों का असली चरित्र देश देख रहा है।
प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि टीएमसी का इतिहास लेकर आप देख सकते हैं कि हिंसा उनके कामकाज का हिस्सा रही है। बंगाल चुनाव के दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ शुरू हुई हिंसा अब देश के सर्वोच्च निकाय राज्यसभा तक पहुंच गई है, जो बेहद दुखद है। संसद में इस तरह के कृत्यों से आम आदमी में गलत संदेश जाता है, संसद से उनका विश्वास उठता है, इसलिए ऐसी घटिया हरकत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है
गौरतलब है कि राज्यसभा में शांतनु सेन ने आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथ से कागज छीनकर हवा में फेंक दिया था। अश्विनी वैष्णव उस समय उच्च सदन में पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए भारतीयों की जासूसी करने की खबरों और इस मामले में विपक्ष के आरोपों पर बयान दे रहे थे।
कथित पेगासस जासूसी के दावे पर आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद के मानसून सत्र में सरकार का पक्ष पेश किया। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बीती रात एक वेबसाइट पर बेहद सनसनीखेज खबर प्रकाशित हुई। इस खबर में तरह-तरह के आरोप लगाए गए थे। संसद का मानसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले यह खबर मीडिया में आई है। यह महज इत्तेफाक नहीं हो सकता। अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि हमारे कानूनों और मजबूत संस्थानों में जांच और संतुलन के साथ, किसी भी तरह की अवैध निगरानी संभव नहीं है। भारत में एक सुस्थापित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का कानूनी रूप से उपयोग किया जाता है। आईटी मंत्री ने कहा कि जब हम इस मुद्दे को तर्क के चश्मे से देखते हैं, तो यह स्पष्ट रूप से सामने आता है कि इस सनसनी के पीछे कोई तर्क नहीं है।
आईटी मंत्री वैष्णव ने कहा कि पेगासस के इस्तेमाल को लेकर पहले भी इसी तरह के दावे किए गए थे। उन रिपोर्टों का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं था और सर्वोच्च न्यायालय सहित सभी पक्षों द्वारा स्पष्ट रूप से इनकार किया गया था। 18 जुलाई 2021 की प्रेस रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और उसकी स्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश लगती है। आईटी मंत्री वैष्णव ने कहा कि इस खबर का आधार एक ऐसा समूह है जिसने कथित तौर पर 50,000 फोन नंबरों का लीक हुआ डाटा बेस हासिल किया।

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