ईडी के डर से खामोश हैं मायावती!

4पीएम की परिचर्चा में प्रबुद्घजनों ने किया मंथन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी विधान सभा चुनाव हो या हाल ही में हुए लोक सभा उपचुनाव बसपा सुप्रीमो मायावती सक्रिय नजर नहीं आई हैं। और अब उन्होंने राष्टï्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है। ऐसे में लगातार उनकी सियासत को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या मायावती भाजपा की बी टीम बन कर काम कर रही है। इस मुद्ïदे पर वरिष्ठï पत्रकार सैयद कासिम, अजय शुक्ला, प्रो. लक्ष्मण यादव, दिल्ली विवि, प्रो. रविकांत, लखनऊ विवि और अभिषेक कुमार ने एक लंबी परिचर्चा की।
अजय शुक्ला ने कहा, कांशीराम एक मिशन के लिए लड़ रहे थे कि हमें दलितों के लिए कुछ करना है। इस मिशन में मुसलमान भी शामिल थे। वो मिशन काशीराम के बीमार पड़ते ही धीरे-धीरे खत्म होता चला गया। शुरूआती दौर में मायावती आईं तो उन्होंने उस मिशन को आगे ले जाने का काम किया मगर धीरे-धीरे उन्होंने भी मिशन पर पकड़ ढीली कर दी, इसी वजह से दलित समुदाय भी उनसे दूर होने लगा। डॉ. लक्ष्मण यादव ने कहा, बसपा कांशीराम की मेहनत है। कभी एक आंदोलन का नाम था बहुजन समाज पार्टी। लेकिन अब राजनीति बदल गई है। सपा और बसपा का गठबंधन भी टूटा इसी राजनीति में। कांशीराम कहते थे कि मैं अपनी शर्तों पर कुर्सी के लिए कुछ भी कर सकता हूं। वो कहते थे कि भाजपा के साथ जब सरकार बनाई तो हमने अपने एजेंडे पर काम किया, उनके एजेंडे पर नहीं। सैयद कासिम ने कहा कि मायावती कभी भारतीय जनता पार्टी के साथ नहीं रह सकती। मायावती जिस दिन घोषित रूप से भाजपा के साथ जाएगी, अभी तो ऐसे खत्म हुई है, आगे इस पर सोचिए कैसा होगा, जिस दिन अलायंस होगा उस दिन उनकी राजनीति भी पूरी तरह खत्म हो जाएगी। कांशीराम ने जिस मूवमेंट को तैयार किया था, मायावती को इसे बरकरार रहना होगा, तभी बसपा यूपी में आगे बढ़ पाएगी। प्रो. रविकांत ने कहा, मायावती भीतर ही भीतर सक्रिय है। अभी जो मायावती की कमजोरी है, आनंद कुमार जो है उनके भाई, उनकी संपत्ति है। विपक्ष के तमाम नेताओं पर ईडी का हमला हो रहा है, मायावती की खामोशी उस वजह से है। पर्दे से बाहर नहीं निकल कर आ रही है। दलित समाज या जो बहुजन तबका है वो इंतजार नहीं करता किसी मायावती का, अखिलेश का, उसके लिए जो ऑप्शन निकलेगा, उसी के साथ जाएगा।

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