योगी मंत्रिमंडल में 31 नए चेहरों से भविष्य पर निगाह

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में जिस तरह 21 अगड़े और 21 पिछड़ों के साथ 8 दलित एवं एक-एक सिख, मुस्लिम और अनुसूचित जनजाति के चेहरों के साथ सामाजिक समीकरण संतुलित करने की कोशिश की गई है उसने स्पष्ट कर दिया कि अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम से प्रधानमंत्री मोदी की मौजूदगी में 2022 से शुरू हो रही योगी सरकार की दूसरी पारी में शामिल खिलाड़ियों पर सिर्फ अच्छे रन बनाने की ही जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत के लिए बेहतर परफॉरमेंस देने का भी जिम्मा है। मंत्रिमंडल से कई प्रमुख चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने वाले अलग-अलग वर्गों से 31 नए चेहरों के जरिए भविष्य की तैयारी के संकल्प का संदेश भी दिया गया है। मंत्रिमंडल में सामाजिक, राजनीतिक और क्षेत्रीय सरोकारों के समीकरणों के साथ पुराने व नए चेहरों के संतुलन से एजेंडे पर ज्यादा साहस व सक्रियता से काम करने का भरोसा भी जताया गया है। डॉ. दिनेश शर्मा सहित कई बड़े चेहरों को योगी सरकार की दूसरी पारी में जगह न देकर यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि बेदाग छवि के साथ नेतृत्व को 2024 के लिए नतीजे देने वाले चेहरों की भी जरूरत है। जिस तरह योगी सरकार-1 के डिप्टी सीएम केशव मौर्य को पराजित होने के बावजूद उप मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन डॉ. दिनेश शर्मा की जगह ब्राह्मïण चेहरे के रूप में ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई, उससे साफ हो गया कि भाजपा हाईकमान की मंशा सिर्फ जातीय संतुलन साधने भर की नहीं है, बल्कि वह 2024 के लिए ऐसे चेहरों को जिम्मेदारी सौंपना चाहती है जो अपने-अपने समाज के बीच पार्टी की पकड़ व पहुंच को ज्यादा पुख्ता कर सकें।

यही वह वजह रही जिसके कारण तमाम बड़े और मंत्रिमंडल के अभिन्न हिस्सा माने जा रहे चेहरों पर 31 नए चेहरों को तवज्जो दी गई। भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले अमित शाह कई बार स्वीकार कर चुके हैं कि भाजपा साल के 365 दिन और 24 घंटे चुनाव को ध्यान में रखकर काम करती है। उसकी झलक योगी-2.0 सरकार के शपथग्रहण में भी दिखी। भाजपा को गठबंधन सहित मिले भारी बहुमत के पीछे महिलाओं का ज्यादा मतदान और नौजवानों का जातीयता पर हिंदुत्व को तवज्जो देने का रुझान माना जा रहा है। इस कारण, योगी-2 सरकार में तमाम नौजवानों एवं 5 महिलाओं को शामिल करके इन्हें सम्मान देने का संदेश दिया गया है। साथ ही यह भी साबित करने की कोशिश की गई है कि यदि महिलाएं और नौजवान भाजपा के साथ हैं तो यह पार्टी भी उनके सरोकारों के साथ है। जाहिर है कि इस संदेश से भाजपा ने 2024 के लिए महिलाओं एवं नौजवानों की लामबंदी मजबूत करने की कोशिश की है।

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