किसान आंदोलन के छह माह पूरे : कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन

  • आंदोलनकारी किसानों ने मनाया काला दिवस, पीएम का पुतला फूंका
  • नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं आंदोलनकारी
  • सिंघु, टीकरी, गाजीपुर बॉर्डर समेत तमाम धरनास्थलों पर सुरक्षा कड़ी
  • केंद्र सरकार के उदासीन रवैए से नाराज हैं आंदोलनकारी किसान
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर को शुरू हुए किसान आंदोलन के आज छह माह पूरे हो गए। किसानों ने कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर आज देशभर में प्रदर्शन किया और पीएम नरेंद्र मोदी का पुतला फूंका। लखनऊ में भी भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले किसान सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। दिल्ली की सीमाओं पर कई महीनों से धरने पर बैठे किसानों ने आज काला दिवस मनाया। गाजीपुर और गाजियाबाद बॉर्डर पर किसानों ने काला दिवस मनाया। आंदोलन के छह माह पूरे होने पर सरकार की तरफ से कोई भी निष्कर्ष न निकलने पर आंदोलनकारी किसानों में गुस्सा है। यूपी गेट पर आंदोलनकारी किसान काला दिवस मनाने के साथ पीएम मोदी का पुतला जलाया। पुलिस अधिकारियों ने किसानों से पुतला छीनने का प्रयास किया लिहाजा किसान और पुलिस अधिकारियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। वहीं दिल्ली के कई जगहों में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। सभी गाड़ियों की जांच की जा रही है। अमृतसर के छब्बा गांव में लोगों ने घरों में काले झंडे लगाए। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि छह महीने हो गए लेकिन सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है इसलिए किसान काला दिवस मनाने को मजबूर हुए हैं। हम सब कुछ शांतिपूर्वक कर रहे हैं। हम कोविड के नियमों का पालन कर रहे हैं। यहां कोई नहीं आ रहा है। लोग जहां हैं वहीं काले झंडे लगा रहे हैं। वहीं यूपी की राजधानी लखनऊ में भारतीय किसान यूनियन का टिकैत गुट धरने पर बैठा। किसान नेता राकेश यादव और बबली गौतम के नेतृत्व में किसानों ने प्रदर्शन किया।
किसानों को अपमानित कर रही अहंकारी भाजपा सरकार : अखिलेश
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने शायराना अंदाज में ट्वीट किया, बहाकर अपना ख़ून-पसीना जो दाने पहुंचाता घर-घर, ‘काला दिवसÓ मना रहा है, आज वो देश का ‘हलधरÓ। उन्होंने लिखा कि भाजपा सरकार के अहंकार के कारण आज देश में किसानों के साथ जो अपमानजनक व्यवहार हो रहा है उससे देश का हर नागरिक आक्रोशित है। हमारे हर निवाले पर किसानों का कर्ज है।

खुली पोल तो बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई ने दिया इस्तीफा
  • सत्तर हजार से अधिक वेतन मिलने के बाद भी गरीब कोटे से बने थे असिस्टेंट प्रोफेसर
  • विपक्ष के निशाने पर आने और विवाद बढ़ने के बाद छोड़ी नौकरी
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। सामान्य वर्ग के गरीब कोटे से सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर पर नियुक्ति पाने वाले बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश द्विवेदी के भाई अरुण कुमार द्विवेदी ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र दुबे ने उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया है। उनकी नियुक्ति पर पूरे देश में सवाल उठाए गए थे और खुद बेसिक शिक्षा मंत्री की किरकिरी हुई थी। विवादों में घिरने के बाद उन्होंने यह कदम उठाया है। यूपी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के सगे भाई अरुण कुमार की नियुक्ति सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु में मनोविज्ञान विभाग में हुई थी। इनकी नियुक्ति विवादों के घेरे में आ गई जिसके बाद से लगातार जांच की मांग की जा रही थी। अरुण कुमार द्विवेदी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी पत्नी के नौकरी में रहते हुए और खुद करीब 70 हजार रुपये मासिक से ज्यादा वेतन मिलने के बाद भी गलत ढंग से ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट हासिल किया था। डॉ. अरुण इसके पूर्व वनस्थली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे। इस मामले पर अधिवक्ता और सोशल एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर ने पूरे मामले की जांच करवाने की मांग की थी। अरुण द्विवेदी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दिया है।
मंत्री की खूब हुई किरकिरी
भाई के सामान्य वर्ग के गरीब कोटे से नियुक्ति मामले पर विपक्ष ने बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश द्विवेदी को जमकर निशाने पर लिया था। सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारे तक मंत्री की खूब किरकिरी हुई। आम आदमी पार्टी के नेताओं ने बकायदा इस पर आंदोलन शुरू कर दिया था। मामला बढ़ता देख राजभवन ने भी सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति से पूरे मामले में जवाब-तलब किया था। जब भाई की नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल खड़े होने लगे थे तब मंत्री सतीश द्विवेदी ने सफाई में कहा था कि जिस किसी को आपत्ति हो तो वह जांच करवा सकता है।

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