दस जनपथ में हो रही महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं की पेशी, लगातार चल रहा है दौर

नई दिल्ली। एक तरफ महाराष्ट्र में वरकारी संप्रदाय की वार्षिक पंढरपुरवारी (यात्रा) चल रही है, दूसरी ओर महाराष्ट्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की दिल्लीवारी चल रही है। पिछले हफ्ते महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को अचानक दिल्ली बुलाया गया। उससे पहले प्रदेश के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत आलाकमान के बुलावे पर दिल्ली आ चुके हैं। राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चव्हाण सोमवार को दिल्ली में थे।
कांग्रेसियों के दिल्ली दौरे को महाराष्ट्र कांग्रेस में संभावित बदलाव के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। यह बदलाव सरकार के रूप में राज्य मंत्रिमंडल में फेरबदल के रूप में सामने आ सकता है। चर्चा है कि कांग्रेस महाअघाड़ी सरकार में अपने दो मंत्रियों को बदलना चाहती है। यहां अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए नाना पटोले को मंत्री बनाए जाने की भी चर्चा है।
विधानसभा अध्यक्ष का पद भी कांग्रेस के खाते में है। इस मामले में भी कांग्रेस में अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि विधानसभा का अगला अध्यक्ष किसे होना है। राहत एवं पुनर्वास मंत्री विजय वाडेतवार और आदिवासी विकास मंत्री के पाडवी के नाम का बार-बार इस्तेमाल हो रहा है। अगर इन दोनों में से कोई एक कांग्रेस विधान सभा के अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बन जाता है तो फिर कांग्रेस का एक मंत्री पद अपने आप खाली हो जाएगा।
अगर हम संगठनात्मक बदलाव की बात करें तो नाना को कांग्रेस अध्यक्ष बने 6 महीने हो गए हैं, लेकिन अब तक वह प्रदेश कांग्रेस में अपनी ही कमेटी का गठन नहीं कर पाए हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस में बड़े पैमाने पर संगठनात्मक फेरबदल की भी बात कही जा रही है। हाल ही में महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी एचके पाटिल मुंबई आए थे। उस समय उन्होंने प्रदेश कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं से अलग-अलग चर्चा की थी।
इस दौरान चार बड़े नेताओं ने पाटिल से साफ कहा था कि अगर पटोले को मंत्री बनाया जाता है तो फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद किसी और को दिया जाए। कांग्रेस के इन नेताओं ने पाटिल को याद दिलाया कि एक आदमी एक पद की नीति का पालन करते हुए राजस्व मंत्री बालासाहेब थोरात के स्थान पर पटोले को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। अब अगर पटोले मंत्री बन जाते हैं तो फिर एक व्यक्ति एक पद की नीति उन पर भी लागू होनी चाहिए।
इधर एनसीपी और शिवसेना भी राज्य मंत्रिमंडल में विस्तार की तैयारियों में व्यस्त हैं। राकांपा नेता अनिल देशमुख और शिवसेना नेता संजय राठौर के इस्तीफे के बाद दोनों दलों का एक-एक मंत्री पद खाली पड़ा है। दोनों ही दल चाहते हैं कि इसे जल्द से जल्द भरा जाए।
इस समय राज्य मंत्रिमंडल में कांग्रेस के 10 कैबिनेट मंत्री और राज्य के दो मंत्री हैं। कांग्रेस की योजना पश्चिमी महाराष्ट्र में एक और कैबिनेट मंत्री पद देने की भी बात कही जा रही है। हाल ही में भाजपा छोडक़र कांग्रेस में शामिल हुए कांग्रेस के पुराने नेता और पूर्व मंत्री सुनील देशमुख को एडजस्ट करने की चर्चा कांग्रेस में तेजी से चल रही है। उन्हें प्रदेश कांग्रेस किस तरह एडजस्ट करती है यह देखने वाली बात होगी।
ठाकरे सरकार का पहला मंत्रिमंडल विस्तार दिसंबर 2019 में हुआ था। उस समय एनसीपी के पास 14 (10 कैबिनेट और 4 राज्यमंत्री), शिवसेना के 12 (8 कैबिनेट और 4 राज्यमंत्री) थे, जबकि कांग्रेस के 10 (8 कैबिनेट और 2 राज्यमंत्री) शामिल थे। इससे पहले मुख्यमंत्री के साथ-साथ तीन दलों के दो कैबिनेट मंत्रियों ने शपथ ली। इस तरह कुल मिलाकर एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस के पास क्रमश 16-14-12 कैबिनेट मंत्री पद हैं।

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