गहलोत को दिया गच्चा

जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच जारी खींचतान में कांग्रेस आलाकमान ने गहलोत को झटका दिया है। कांग्रेस नेतृत्व ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए सीधे नाम मांगे हैं। यानी जिलाध्यक्षों का फैसला अब राजस्थान कांग्रेस नहीं पार्टी आलाकमान करेगी। इससे पायलट का राजनीतिक वजन बढ़ेगा। करीब 11 माह से जिला कांग्रेस की कार्यकारिणी ठप है। बार-बार नियुक्तियों की कवायद शुरू हो जाती है, लेकिन हर बार कोई न कोई रुकावट भी आ जाती है। अब एक बार फिर कांग्रेस में सांगठनिक नियुक्तियों की कवायद तेज हो गई है। कांग्रेस में जल्द ही जिलाध्यक्षों समेत अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति की संभावना जताई जा रही है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब एआईसीसी ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी को दरकिनार कर सीधे पैनल की मांग की है।
आम तौर पर पैनल राज्य कांग्रेस कमेटी के माध्यम से दिल्ली भेजे जाते हैं, जिन पर आलाकमान की मुहर लगती है, लेकिन इस बार पीसीसी के बजाय सीधे एआईसीसी द्वारा जिलाध्यक्षों के नाम मांगे गए हैं। तीन-तीन नामों के पैनल जिला प्रभारी को 30 जून तक भेजने को कहा गया है। यानी आज पैनल भेजने की आखिरी तारीख भी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सीधे नाम भेजने के सवाल पर कहा कि पीसीसी से नाम मांगे 4 महीने हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि सीधे नाम पूछने में कोई बुराई नहीं है और मुझसे भी नाम मांगे गए हैं। डोटासरा ने कहा कि सभी नेताओं से चर्चा कर जिला अध्यक्षों के नाम तय किए जाएंगे और पीसीसी की ओर से भेजे गए प्रस्तावों पर ही आलाकमान नाम तय करेगा। डोटासरा ने भी जल्द ही नियुक्तियों के संकेत दिए। डोटासरा के इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं कि पीसीसी से बार-बार नाम मांगे जाने के बाद भी नाम दिल्ली नहीं भेजे गए, जिसके चलते सीधे एआईसीसी ने नाम मांगा है।
जिला प्रभारियों को एक प्रोफार्मा दिया गया है, जिसमें संभावित जिलाध्यक्षों के नाम भरकर भेजे जा रहे हैं। इसके साथ ही इन नामों की सिफारिश करने वाले विधायकों और वरिष्ठ नेताओं के नाम भी इस प्रोफार्मा में भरकर भेजे जाने हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी अजय माकन के निर्देश पर सह प्रभारी तरुण कुमार ने जिला प्रभारियों को फोन कर 30 जून तक तीन नामों का पैनल भेजने को कहा। राज्य के अंतर्गत 39 जिले हैं। कांग्रेस। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक करीब 25 जिलों से पैनल भेजे जा चुके हैं।
पीसीसी की कड़ी को दरकिनार करते हुए सीधे जिला प्रभारी से पैनल मांगना चर्चा का विषय है। यह मामला कल हुई प्रदेश कांग्रेस की वर्चुअल बैठक में भी उठा। प्रदेश कांग्रेस में नियुक्तियों का लंबा इंतजार है। पिछले साल पैदा हुए राजनीतिक संकट के बाद यानी करीब 11 महीने से जिलों की कार्यकारिणी भंग कर दी गई है। अब नियुक्तियों को लेकर एक बार फिर संगठन में हडक़ंप मच गया है और उम्मीद है कि जुलाई माह में जिला संगठनों में नियुक्तियां कर दी जाएंगी।

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