अफसरों को लाखों की घूस देकर ऋषिता ने उजाड़ दिया किसान का खेत

  • कब्जा करके जमकर किया अवैध खनन ऋषिता ने, हाईकोर्ट की फटकार के बाद रूका यह खेल
  • ऋषिता डेवलपर्स ने किसान की जमीन हड़पने को दिल खोलकर सेवा की अफसरों की
  • गरीब किसान पहुंचा हाईकोर्ट, स्टे के बाद भी अफसरों ने दे दी ऋषिता को खनन की छूट
  • फिर हाईकोर्ट ने तलब करके फटकारा तो खनन की अनुमति ली गयी वापस
मनीष पांडेय. लखनऊ। एक ओर मुख्यमंत्री किसानों के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर उनके अफसर ही बिल्डरों से मिलीभगत कर किसानों की जमीन पर कब्जा करा रहे हैं। राजधानी लखनऊ में अफसरों के साथ मिलकर ऋषिता डेवलपर्स (ऋषिता मलबेरी हाइट्स) ने न केवल हाईकोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ा दीं बल्कि एक किसान की जमीन पर कब्जा कर उसकी जमीन पर जमकर अवैध खनन किया। हाईकोर्ट की फटकार के बाद अफसर और बिल्डर के बीच मिलीभगत का खेल बंद हुआ। बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले में लाखों की घूस दी गई। वहीं इस मामले के खुलासे के बाद विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला है। विपक्ष का कहना है कि सरकार के इशारे पर बिल्डर किसानों की जमीन को हड़पने में जुटे हैं। ताजा मामला लखनऊ के सरोजनीनगर तहसील के गांव बगियामऊ का है। बगियामऊ में किसान प्रेमचंद अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके पास करीब 6 बीघा पुस्तैनी जमीन है। इसी खेत से प्रेमचंद और उनके परिवार का पालन-पोषण होता था। उनकी जमीन सुशांत गोल्फ सिटी योजना के अंतर्गत आ गई। प्रेमचंद की जमीन के आस पास वालों ने अपनी जमीनें औने-पौने दामों पर बिल्डर को बेच दी पर प्रेमचंद इसके लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने न्यायालय से गुहार लगाई कि बिल्डर उनकी जमीन को बिना वाजिब मुआवजा दिए जबरन लेना चाहते हैं। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जमीन की यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था लेकिन ऋषिता डेवलपर्स की ओर से प्रेमचंद की जमीन पर बाउंड्री कराई गई। इसी बीच लखनऊ जिला प्रशासन ने एक आदेश जारी किया। आदेश में प्रेमचंद के खेत को डेढ़ मीटर खोदने का आदेश बिल्डर को दे दिया गया। किसान कोर्ट का ऑर्डर लेकर पुलिस से लेकर जिले के तमाम अफसरों के पास दौड़ता रहा लेकिन उसकी एक न सुनी गई। इस पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फटकार लगाई तो आदेश निरस्त किया गया। जब तक आदेश निरस्त होता किसान का खेत गड्ढे में तब्दील हो चुका था।

 ऐसे किया गया खेल
अंसल ने धोखे से प्रेमचंद को स्थानीय पुलिस से साठ-गांठ करके थाने में बिठा लिया और जमीन पर कब्जा कर लिया। फिर अंसल ने प्रेमचंद की जमीन ऋषिता डेवलपर्स को बेच दी। गौरतलब है कि प्रेमचंद ने न तो अपनी जमीन का मुआवजा लिया है और न जमीन बेची है। वहीं इनकी जमीन को एक बिल्डर ने दूसरे बिल्डर को बेच दिया। इस बार भी वही तरीका अपनाया गया। प्रेमचंद को पुलिस ने पीजीआई थाने में ले जाकर बिठा दिया और जमीन पर ऋषिता डेवलपर्स को कब्जा दे दिया गया। प्रेमचंद कोर्ट का ऑर्डर लेकर लखनऊ विकास प्राधिकरण के चक्कर लगाते रहे पर कहीं सुनवाई नहीं हुई।
बिल्डर ने नहीं दिया अपना पक्ष
इस संबंध में ऋषिता डेवलपर्स के वेबसाइट पर दिए गए नम्बर 08081333444 पर जब संपर्क किया गया तो जवाब मिला कि हमारे मार्केटिंग मैनेजर बात करेंगे और इस संबंध में जानकारी देंगे लेकिन दोबारा बिल्डर ने अपना कोई पक्ष 4पीएम के सामने नहीं रखा।
जब किसान और गरीब की बात आती है तो इस सरकार की पूरी मशीनरी उसका हर संभव शोषण करती है। इस मामले में सरकार किसान को तुरंत मुआवजा दे और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करे।
वैभव माहेश्वरी, प्रवक्ता, आम आदमी पार्टी
सरकार किसान हित की बात करके सत्ता में आई लेकिन अब वह उन्हीं का दमन कर रही है। सरकार के इस रुख के कारण ही नौकरशाह बेलगाम हो गए हैं। किसानों से जमीन छीनकर बिल्डरों को दी जा रही है। सारे नियम कानून ताक पर रख दिए गए हैं।
जीशान हैदर, प्रवक्ता, कांग्रेस
सरकार नौकरशाहों पर दबाव बनाकर किसान के हितों को नकार रही है। किसानों का शोषण और दमन किया जा रहा है। किसान के साथ हुई यह ज्यादती दुर्भाग्यपूर्ण है।
आई पी सिंह, प्रवक्ता, सपा
इस प्रकरण की जानकारी नहीं है। इस संबंध में जानकारी लेने के बाद ही किसी प्रकार की टिप्पणी कर सकता हूं।
मनोज मिश्रा, प्रवक्ता, भाजपा

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