सदन में शिवपाल किस सीट पर बैठेंगे यह स्पीकर तय करेंगे

लखनऊ। एक ओर शिवपाल यादव सपा से कोई नाता न रखने का ऐलान करते हैं और दूसरी ओर सपा उनको सदन में आगे बिठाने की मांग का समर्थन करती है। क्या यह चाचा भतीजे के नजदीक आने के संकेत हैं या और दूर जाने के…। इसके अपने निहितार्थ हैं। पर सपा के नेता कहते हैं कि यह पहल तो चाचा के सम्मान में है। सदन में अभी यह तय नहीं है कि शिवपाल यादव आगे की पंक्ति में किस सीट पर बैठेंगे। इस पर अभी स्पीकर को निर्णय करना है। आगे बैठने की सूरत में संभव है कि उन्हें नेता प्रतिपक्ष से ज्यादा दूर की सीट बैठने को मिले। आगे बैठने की मांग व उसका सपा का समर्थन के अपने निहितार्थ हैं। 403 के सदन में एक चौथाई सीटों से ज्यादा पर सपा सदस्य बैठते हैं। सबसे आगे की पंक्ति काफी लंबी व दूर तक गई है। इसमें कहीं भी शिवपाल के लिए सीट आवंटित हो सकती है। ऐसे में उन्हें सदन में नेता प्रतिपक्ष यानी अखिलेश यादव की सीट से दूर भी कोई सीट आवंटित हो सकती है। प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव सपा विधायक हैं। सपा ने उनकी सदस्यता खत्म कराने का इरादा फिलहाल टाल दिया है। सियासत के जानकारों का कहना है कि यह पास आने के बजाये दूर करने की चतुर चाल भर है।

शिवपाल आजम खां की हुई मुलाकात
शिवपाल यादव व आजम खां दोनों ने दिल्ली में मुलाकात की। इसमें क्या बात हुई यह तो ज्यादा साफ नहीं हो पाया लेकिन माना जा रहा है कि आजम खां से जुड़े कानूनी मसलों पर शिवपाल ने जानकारी ली। हालांकि शिवपाल यादव आजम खां से नजदीकी रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन आजम खां कई मौकों पर साफ कर चुके हैं कि अब उम्र के इस पड़ाव में सपा छोड़ कर कोई नया मोर्चा या संगठन बनाने के मूड में बिल्कुल नहीं हैं। अलबत्ता उनकी चिंता अपने विधायक बेटे को पार्टी में मजबूती से जमाने की है। शिवपाल की भाजपा से नजदीकी आजम खां के किस काम आ सकती है। इस पर अभी कुछ कह पाना खासा मुश्किल है।

तबादलों में शिक्षक नहीं पा सकेंगे मनचाहा विद्यालय

लखनऊ। परिषदीय शिक्षकों का जिले के अंदर तबादला व समायोजन करने के लिए पोर्टल डेढ़ माह बाद भी नहीं खुल सका है। अधिकारी लगातार तारीखें बढ़ा रहे हैं। तबादलों में शिक्षकों को मनचाहा विद्यालय भी नहीं मिल सकेगा, बल्कि बड़ी संख्या में शिक्षक कार्यरत विद्यालयों से हटाए जरूर जाएंगे। विभाग ने करीब छह साल बाद नीति तय की है लेकिन, शिक्षकों की मुराद पूरी नहीं हो रही। इसमें छात्र शिक्षक अनुपात दुरुस्त होगा। बेसिक शिक्षा विभाग परिषदीय अध्यापकों का जिले के अंदर स्थानांतरण व समायोजन आनलाइन करने के लिए 27 जुलाई को आदेश जारी कर चुका है। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा दीपक कुमार ने आदेश दिया था कि 10 दिन में पोर्टल शुरू किया जाए लेकिन, मेरिटोरियस रिजर्व कैटेगरी एमआरसी शिक्षकों का स्कूल की वजह से प्रक्रिया रुकी है। इससे साफ है कि विभाग विद्यालयों में शिक्षक व छात्र अनुपात सही करना चाहता है, क्योंकि जिन स्कूलों में इन शिक्षकों का आवंटन होगा वहां तबादलों में शिक्षक नहीं भेजे जाएंगे। ज्ञात हो कि निशुल्क व अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम आरटीई 2009 के मानक के आधार पर ही शिक्षकों व प्रधानाध्यापकों के तबादले होंगे।

तबादलों में विद्यालय के सरप्लस शिक्षकों को ही विकल्प देने का मौका मिलेगा, ये शिक्षक विभाग की ओर से तय स्कूलों में से 25 का विकल्प दे सकेंगे। अन्य शिक्षकों का न तबादला होगा और न ही आवेदन ही कर सकते हैं। यानी एक ही जिले में यदि पति व पत्नी शिक्षक के रूप में तैनात हैं और वे दोनों सरप्लस सूची में नहीं है तो तबादला नहीं पा सकेंगे। सरप्लस सूची में होने पर भी तबादला विभाग की ओर से चिन्हित स्कूलों में होगा। इसी तरह से समायोजन भी शिक्षकों की जरूरत के हिसाब से होगा। शिक्षक इसका भी विरोध कर रहे हैं कि 30 अप्रैल की छात्र संख्या को सरप्लस चिन्हित करने का आधार क्यों बनाया जा रहा, जबकि स्कूलों में बच्चों का प्रवेश 30 सितंबर तक होता है और संयोग से वह तारीख भी करीब आ गई है। शिक्षक विहीन, एकल व ऐसे विद्यालय जहां दो से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं वहां आरटीई के अनुसार पद खाली हैं में प्राथमिकता के आधार पर शिक्षक तैनात किए जाएंगे।

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