आय बढ़ाने के लिए अब स्टांप शुल्क पर सरकार की नजर, प्रस्ताव तैयार

10 गुना तक हो सकती है वृद्धि
अधिनियम में किया जाएगा संशोधन
400 करोड़ की सालाना वृद्धि का अनुमान
सीएम योगी के सामने हो चुका है प्रेजेंटेशन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। कोरोना काल में खाली होते खजाने को भरने की जुगत में योगी सरकार लगी हुई है। अब उसकी नजर स्टांप शुल्क पर है। संभावना जताई जा रही है कि इसमें दस गुना तक वृद्घि हो सकती है। इससे खजाने में 400 करोड़ की सालाना वृद्घि का अनुमान है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी इस प्रेजेंटेशन को देख चुके हंै।
प्रदेश सरकार ने मौजूदा विलेखों पर स्टांप शुल्क में 2 से 10 गुना तक की वृद्धि का कैबिनेट प्रस्ताव तैयार किया है। इसके अलावा स्टांप देयता से बाहर करीब एक दर्जन नए क्षेत्रों को भी स्टांप शुल्क के दायरे में लाने का प्रस्ताव है। इसके लिए भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 की अनुसूची 1-ख में संशोधन किया जाएगा। स्टांप शुल्क में वृद्धि से सरकारी खजाने में 400 करोड़ रुपये सालाना वृद्धि का अनुमान है। हालांकि वृद्धि पर अंतिम फैसला कैबिनेट करेगी। स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने महाराष्टï्र, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों की स्टांप व्यवस्था का अध्ययन कर करीब छह माह पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने प्रजेंटेशन दिया था। इसमें स्टांप शुल्क व रजिस्ट्रीकरण शुल्क में वृद्धि का सुझाव था। सरकार रजिस्ट्रीकरण शुल्क को तर्कसंगत बनाकर फरवरी में जरूरी वृद्धि कर चुकी है। स्टांप शुल्क में वृद्धि से संबंधित कार्यवाही पर विचार-विमर्श चल रहा था। सूत्रों के मुताबिक विभिन्न स्तर से प्राप्त सुझावों को शामिल कर विभाग ने कैबिनेट प्रस्ताव तैयार कर लिया है। 

क्या होता है स्टांप शुल्क

स्टाम्प शुल्क एक प्रकार का कर है जो दस्तावेजों पर लगाया जाता है। ऐतिहासिक रूप से यह अधिकांश प्रपत्रों जैसे चेक, रसीद, भूमि पंजीकरण आदि पर राज्य सरकार द्वारा लगाया जाता हैं। यह भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की अनुसूची 1-ख के तहत देना होता है। स्टाम्प ड्यूटी की सीमा पंजीकरण के समय घर/ संपत्ति के मूल्य पर आधारित होती है। यह शुल्क कई सारी चीजों पर निर्भर करता है।

2001 से अब तक कोई संशोधन नहीं हुआ

दत्तक ग्रहण, शपथ पत्र, समझौता पत्र, लीज, लाइसेंस, न्यास समाप्ति आदि पर लिए जा रहे स्टांप शुल्क में ढाई से 10 गुना तक वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा स्टांप शुल्क के दायरे से बाहर लाभ वाले कई नए कार्य इसके दायरे में लाए जाएंगे। प्रदेश में 2001 से अब तक इसमें कोई संशोधन नहीं किया गया है जबकि कई राज्य इन 20 सालों में कई-कई बार विभिन्न तरह के विलेखों पर स्टांप शुल्क में बदलाव कर चुके हैं। एक अधिकारी ने बताया कि इन प्रस्तावों पर एक बार शीर्ष स्तर पर चर्चा हो चुकी है।

इन विलेखों के स्टांप शुल्क में है वृद्धि का प्रस्ताव
विलेख लागू प्रस्तावित
शपथ पत्र 10 20
लिखित 10 100
प्रति या उद्धरण 10 20
अप्रेंटिसशिप पत्र 20 100
लाइसेंस पत्र 30 100
लीज सरेंडर 40 100
समझौता पत्र 50 200
प्रतिलेख या द्वितीय प्रति 50 100
न्यास का निरसन 80 500
क्षतिपूर्ति पत्र 80 100
दत्तक ग्रहण 100 1000
अधिकार क्रियान्वयन 50 100
में नियुक्ति

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