कौन बनेगा जदयू का अध्यक्ष इन नामों की है चर्चा

नई दिल्ली। आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बनने के बाद भी राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद नहीं छोडऩा चाहते। इधर, केंद्र में मंत्री बनने से चूक गए ललन सिंह इस बार समझौता करते नहीं दिख रहे हैं। कुछ दिन पहले जदयू में शामिल हुए उपेंद्र कुशवाहा भी इस दौड़ में आगे चल रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर जदयू में हंगामा होने के कारण नीतीश कुमार भी परेशान हो गए हैं। हालांकि फिलहाल इस मुद्दे पर किसी ने खुलकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन अंदर सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक पद पर तीन लोगों के दावे के कारण अव्यवस्था है एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जदयू सूत्रों का कहना है कि आरसीपी सिंह मंत्री बनने के बाद भी राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद नहीं छोडऩा चाहते हैं।
इधर, केंद्र में मंत्री बनने से चूक गए ललन सिंह इस बार कम पर समझौता करते नहीं दिख रहे हैं। कुछ दिन पहले जदयू में शामिल हुए उपेंद्र कुशवाहा भी इस दौड़ में आगे चल रहे हैं। जनता दल यूनाइटेड की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 31 जुलाई को दिल्ली में होनी है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश कुमार बैठक में पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर इस विवाद को खत्म करने की कोशिश करेंगे।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए तीन दावेदार सीएम नीतीश कुमार के खास माने जाते हैं। नीतीश कुमार के खास आरसीपी सिंह फिलहाल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। लेकिन, 7 जुलाई को मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद उन पर वन मैन वन पोस्ट के सिद्धांत के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटने का दबाव है । हालांकि वह फिलहाल इस पद को छोडऩे को तैयार नहीं हैं। उन्होंने पत्रकारों के सामने भी अपनी मंशा जाहिर की है।
लेकिन, सांसद ललन सिंह खेमे ने वन मैन वन पोस्ट के सिद्धांत के तहत राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोडऩे का दबाव बनाया है। विकल्प के तौर पर राजनीति के गलियारे में दो नामों की खास चर्चा है। एक जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और दूसरा मुंगेर के सांसद ललन सिंह। ये दोनों ही सीएम नीतीश के काफी करीबी भी माने जाते हैं। लेकिन सवाल यह है कि अध्यक्ष पद के लिए सीएम नीतीश किसका चुनाव करेंगे? इस पर अभी भी संदेह है ।
उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के खास लोगों में से एक हैं। यही कारण है कि उनके जदयू में शामिल होने के साथ ही उन्हें पहले विधान परिषद में भेजा गया और फिर जदयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया। जो पहले आरसीपी सिंह के पास था। जदयू के संविधान के मुताबिक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। यही कारण था कि उपेंद्र कुशवाहा से पहले यह पद आरसीपी सिंह के पास हुआ करते थे।
लेकिन, अभी ये दोनों पद अलग-अलग लोगों के पास हैं। आरसीपी सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, जबकि उपेंद्र कुशवाहा केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं। आरसीपी सिंह के मंत्री बनने के बाद यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि उपेंद्र कुशवाहा को राष्ट्रीय अध्यक्ष और जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष के दोनों पदों की जिम्मेदारी दी जाए। जदयू में शामिल होने से पहले वे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। उपेंद्र कुशवाहा को संगठन चलाने का भी लंबा अनुभव है। लेकिन, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पार्टी के पुराने बड़े नेता उनके अध्यक्ष बनने से नाराज होंगे। क्योंकि वह अभी पार्टी में नए हैं।
जदयू में सोशल इंजीनियरिंग, जातिगत और सामाजिक समीकरण की दृष्टि से फिर ललन सिंह की स्थिति मजबूत दिखाई दे रही है। राजनीति में निपुण मौजूदा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह सीएम नीतीश की जातीय कुर्मी बिरादरी से आते हैं। इसके साथ ही जदयू के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा कोइरी जाति से हैं। ऐसी स्थिति में सोशल इंजीनियरिंग का सवाल सीएम नीतीश के सामने है कि अन्य जातिगत समीकरणों को सुलझाएं।
ललन सिंह पहले भी प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और वह न सिर्फ नीतीश कुमार के विश्वासपात्र रहे हैं, बल्कि उन्हें संगठन चलाने का लंबा अनुभव भी है। राजनीतिक विशेषज्ञ भी उनके दावे को मजबूत मानते हैं। हालांकि यह भी निश्चित है कि जब भी सीएम नीतीश कोई फैसला लेंगे तो वह इसे सिर्फ वर्तमान और भविष्य की राजनीति को देखते हुए ही लेंगे।
हालांकि जदयू के नए अध्यक्ष को लेकर बिहार के राजनीतिक गलियारे में उपेंद्र कुशवाहा के साथ ललन सिंह के नाम की चर्चा है। लेकिन उपेंद्र कुशवाहा का दावा मजबूत माना जा रहा है। इस पर अंतिम फैसला शनिवार को होने की उम्मीद है। नीतीश कुमार इसको लेकर शुक्रवार को दिल्ली जा रहे हैं। वहां मंथन के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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