कोरोना काल और डर का कारोबार

sanjay sharma

सवाल यह है कि यह कारोबार इतना सफल क्यों हो रहा है? क्या लोग कोरोना के कारण पूरी तरह निराशा की गर्त में जा चुके हैं और किसी भी तरह इससे खुद को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं? बाजार में इम्युनिटी बुस्टर के नाम पर बिकने वाले तमाम उत्पादों के मानक क्या हैं? क्या सरकार ने इन उत्पादों की जांच-परख की है? क्या ऐसी कंपनियों को जनता के भयादोहन की छूट दी जा सकती है?

चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कहर बरपा रखा है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। संक्रमण के मामले में यह दुनिया का तीसरा देश बन चुका है। यह अमेरिका और ब्राजील से पीछे हैं। यहां अब तक नौ लाख 36 हजार से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और इसकी रफ्तार तेजी से बढ़ती जा रही है। वहीं कोरोना वायरस से उत्पन्न भय को भुनाने में कई कंपनियां जुट गई हैं। तमाम नुस्खे, इम्युनिटी बुस्टर और आयुर्वेदिक दवाओं से बाजार में पट गए हैं। सवाल यह है कि यह कारोबार इतना सफल क्यों हो रहा है? क्या लोग कोरोना के कारण पूरी तरह निराशा की गर्त में जा चुके हैं और किसी भी तरह इससे खुद को बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं? बाजार में इम्युनिटी बुस्टर के नाम पर बिकने वाले तमाम उत्पादों के मानक क्या हैं? क्या सरकार ने इन उत्पादों की जांच-परख की है? क्या ऐसी कंपनियों को जनता के भयादोहन की छूट दी जा सकती है? क्या सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है? क्या जनता की लापरवाही संक्रमण की रफ्तार को बढ़ाने में अहम भूमिका नहीं निभा रही है? क्या बिना मानकों के ऐसी दवाओं के सेवन से लोगों की सेहत पर खराब असर नहीं पड़ेगा? क्या लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने की छूट दी जा सकती है?
देश के अनलॉक होने के साथ कोरोना संक्रमण का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। कुछ दिनों से रोजाना 28 हजार से अधिक नए केस आ रहे हैं। हालांकि रिकवरी रेट में भी इजाफा हुआ है लेकिन संक्रमण के कारण लोगों में भय बढ़ता जा रहा है। संक्रमण बढऩे के पीछे लोगों की लापरवाही जिम्मेदार है। लोग बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। वे मास्क लगाने से भी परहेज कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ कंपनियां इस संक्रमण के खतरे से बढ़ते भय को भुनाने में जुट गई हैं। बाजार में तरह-तरह के इम्युनिटी बुस्टर दवाएं और काढ़े धड़ल्ले से बिक रहे हैं। हर कंपनी अपने उत्पाद को इम्युनिटी बुस्टर के लिए सबसे कारगर बता रही है। यह कारोबार अरबों में पहुंच चुका है। यह स्थिति इसलिए भी पैदा हुई क्योंकि कोरोना संक्रमण के कारण लोगों में भय का माहौल पैदा हो गया है। लोग खुद को बंधा-बंधा सा महसूस कर रहे हैं। वे किसी भी सूरत में इस निराशा के गर्त से निकलकर खुली हवा में सांस लेना चाहते हैं। इस निराशा के कारण वे ऐसी तमाम दवाओं को खरीदने और उसका उपयोग करने में तनिक भी संकोच नहीं कर रहे हैं और भय का यह कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इन दवाओं को मानकों पर कसे और जनता को इसके बारे में सही जानकारी दे।

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