राजस्थान की राजनीति में नया संकट , अब निर्दलीयों को लेकर कलह

नई दिल्ली। राजस्था की राजनीति में छाए संकट बादल दिन ब दिन गहरे होते जा रहे हैं। पायलट और गहलोत के राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई अब लंबी खिंचती जा रही है। इस लड़ाई का असर पर पार्टी के भीतर भी दिखने लगा है। राजस्थान सरकार और कांग्रेस संगठन में चल रही अस्तित्व की राजनीति का संघर्ष रुक नहीं रहा है। इस कारण सीएम अशोक गहलोत की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। सरकार और संगठन से नाराज पार्टी के कई नेताओं ने हाईकमान तक अपनी आवाज बुलंद करने के लिए दिल्ली में डेरा डाल दिया है। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडक़र हार चुके पार्टी के कई नेता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। इस संबंध में सोनिया गांधी को पत्र लिखने के बाद अब इन नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। निर्दलीय विधायकों से नाराज कांग्रेस के 19 नेता अब हाईकमान से बात करने के मूड में हैं।
ये सभी नेता पिछले दो दिनों से एआईसीसी महासचिव और प्रदेश प्रभारी अजय माकन से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उन्हें अभी तक मिलने का समय नहीं मिला है । दिल्ली पहुंचे कांग्रेस नेताओं में शाहपुरा से चुनाव लडऩे वाले मनीष यादव, खंडेला के सुभाष मील और बस्सी के दौलत सिंह शामिल हैं। मनीष यादव का कहना है कि हमने भी सरकार को निर्दलीयों के समर्थन का स्वागत किया था, लेकिन कांग्रेस का पूरा संगठन सत्ता में शामिल हुए निर्दलीयों को सौंप दिया गया है। उन्होंने कहा कि अब सभी कांग्रेसी अजय माकन से मिलेंगे और कांग्रेस नेताओं को लेकर निर्दलीय विधायकों को दिए जा रहे महत्व के बारे में अपनी शिकायत पेश करेंगे।
मनीष यादव ने कहा कि निर्दलीयों को ज्यादा महत्व देने से उन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो गई है, जिन्होंने खून-पसीने से पार्टी की सिंचाई कर पार्टी को सत्ता में लाया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उन्हीं निर्दलीय विधायकों के सामने छोटे-छोटे कार्यो की भी पैरवी करनी पड़ती है, जिन्होंने पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ा। ऐसा करने से पूरे प्रदेश में कांग्रेस कमजोर हो रही है और हम ऐसा नहीं होने देंगे।
खंडेला से कांग्रेस प्रत्याशी रहे सुभाष मील ने कहा कि सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों ने खुली लूट मचाई है और जनता रो रही है। सभी निर्दलीय अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में सरकार को समर्थन का पूरा फायदा उठा रहे हैं। हमने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इस बारे में सूचित किया था, लेकिन कांग्रेस के कोर कार्यकर्ताओं को अभी तक वह पद नहीं मिला है, जिसके वे सत्ता और संगठन में हकदार हैं ।
कांग्रेस के सिंबल पर चुनाव लड़ चुके पूर्व प्रत्याशी कांग्रेस नेता अजय माकन से पिछले दो दिनों से दिल्ली में रहकर मांग कर रहे हैं। दो बार समय देने के बाद बैठक रद्द कर दी गई। लेकिन कांग्रेस नेताओं ने साफ ऐलान कर दिया है कि वे अजय माकन से मुलाकात किए बिना वापस नहीं लौटेंगे।

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