डीएम अभिषेक प्रकाश ने जांची महात्मा गांधी अस्पताल की व्यवस्थाएं

4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश अपने काम पर वापस लौट आए हैं। उन्होंने आज फिर से राजधानी लखनऊ में बढ़ते संक्रमण रोकने के लिए कमर कस ली है। आज जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश अचानक महात्मा गांधी चिकित्सालय चिनहट पहुंचे। वहां अस्पताल की व्यवस्थाएं जांची और दिशा-निर्देश दिए। डीएम ने 24घंटे रोगियों व संक्रमितों की मदद करने को कहा। इस दौरान जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ की सराहना की, कहा कोविड के काल में आप लोगों द्वारा किया जा रहा प्रशंसनीय है। इसलिए लापरवाही न बरतें। हर मरीज की बात सुने और उसे तत्काल चिकित्सा सुविधा मुहैया कराएं।

राजधानी की फिजां में अपनों की ‘राखÓ
  • जलती चिताएं बता रही हैं कोरोना का कहर
  • नहीं थम रही संक्रमण और मौतों की रफ्तार
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। लखनऊ में कोरोना बेकाबू हैं। संक्रमण और मौतों की रफ्तार थम नहीं रही है। हालात यह है कि राजधानी की फिजां में हर ओर दर्द और दहशत है। बैकुंध धाम और गुलाला घाट में जलती चिताएं इस बात का सबूत है कि कोरोना का कहर अभी कम नहीं हुआ है। बैकुंठ धाम में विद्युत शवदाह गृह के संचालक मुन्ना बताते हैं कि दिन हो या रात हमें बैठने तक की फुर्सत नहीं मिलती। कोरोना की डेडबाडी लगातार आ रही है। रात दो-तीन बजे तक हम लोग चिताएं जला रहे हैं। कोरोना के भय के माहौल में हमें अंतिम संस्कार भी करना होता है। सरकार हमारी ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है जबकि रात दिन हम लोग लोगों की मदद में जुटे हैं।
कोरोना के डर से भाग रहे गांव
राजधानी में कोरोना का खौफ इस कदर है कि लोग डर के मारे गांव भाग रहे हैं। आज भी सड़कों पर मजदूरों को ट्रक में गांव की ओर जाते देखा गया। संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए मजदूर कहते हैं कि जब कोरोना कम हो जाएगा तो हम लोग फिर वापस मजदूरी करने शहर आ जाएंगे।
अपनों ने साथ छोड़ा तो मसीहा बनकर आए मुस्लिम भाई
लखनऊ में संक्रमण बेकाबू हैं। रोजाना पांच हजार के करीब संक्रमित मिल रहे हैं। बीते 24 घंटे में 4600 केस मिले जबकि 40 लोगों की मौत हुई है। इस बीच त्रिवेणी नगर निवासी माया देवी ने कभी नहीं सोचा होगा कि जब वो इस दुनिया से जाएंगी तो उन्हें कोई कंधा देने वाला भी नहीं होगा, उनकी बहू और बेटा दोनों संक्रमित है और एडमिट हैं। जब माया देवी की कोरोना से मौत हुई तो उनके अपनों ने उनका साथ छोड़ दिया और कोई भी उनके शव को उठाने के लिए सामने नहीं आया। तब मसीहा बनकर आए तीन मुस्लिम दोस्तों (मेहंदी रजा, जीशान खान और आबिद रजा)ने ना उन्हें कंधा दिया बल्कि उनका अंतिम संस्कार भी कराया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button