यूपी की नौकरशाही की कमान अब दिल्ली संभालेगी अरविंद शर्मा के जरिये

  • यूपी की नौकरशाही के छूटे पसीने, अरविंद शर्मा के संपर्क में आने की मची होड़
  • किसी भी पद को पाने से पहले ही अरविंद बने यूपी की सत्ता के सबसे ताकतवर शख्स
  • अरविंद को डिप्टी सीएम के साथ गृह और वित्त विभाग दिये जाने की चर्चा
  • सीएम की पीएम से मुलाकात से पहले ही दिल्ली दरबार को खुफिया तंत्र ने दे दिया था यूपी की बेलगाम नौकरशाही का ब्यौरा
  • कार्यकर्ताओं और विधायकों की नाराजगी के कारण दिल्ली दरबार बहुत नाराज
  • सीएम योगी के बढ़ते कद ने ही पैदा कर दी उनके लिये परेशानियां
संजय शर्मा
लखनऊ। जिस समय सीएम योगी दिल्ली में पीएम मोदी से मिले उस समय तक उनकी मेज पर एक रिपोर्ट पहुंच चुकी थी जिसमें इस बात का जिक्र था कि किस तरह यूपी की बेलगाम नौकरशाही के कारण कार्यकर्ताओं और विधायकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है । एक साल बाद होने वाले चुनाव में यह नाराजगी गुल खिला सकती है। सूत्रों का कहना है कि इसीलिये सीएम को बता दिया गया कि अब यूपी को संभालने के लिये अरविंद शर्मा को भेजा जा रहा है। जाहिर है अरविंद एक भूकंप की तरह यूपी की राजनीति में आये और आते ही साबित हो गया कि सीएम योगी के लिये अब चुनौती और बड़ी होने जा रही है क्योंकि अब तक माना जाता था कि सिर्फ डिप्टी सीएम केशव मौर्य का धड़ा ही उनसे नाराज रहता है। भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच यह भी चर्चा है कि जिस तरह योगी का कद देश में बढ़ रहा था उससे कुछ बड़े नेता भी उनसे असहज थे। आने वाले दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं और हो सकती हैं जो सीएम योगी के माथे पर शिकन डाल सकती हैं। दरअसल, यूपी के विधायक और कार्यकर्ता ही नहीं मंत्री तक इस बात से बहुत नाराज है कि यूपी के नौकरशाह उनकी बात सुनने को ही तैयार नहीं हैं। कई बार यह ग़ुस्सा जाहिर भी हुआ पर कोई नतीजा नही निकला। एक बार तो ढाई सौ से ज्यादा विधायक विधानसभा में धरने तक पर बैठ गये थे। इस घटना ने दिल्ली के कान खड़े कर दिये थे। यूपी के अलग-अलग बड़े नेताओं ने भी कुछ ऐसा ही फीडबैक दिल्ली को दिया। दिल्ली किसी भी कीमत पर यूपी में खतरे मोल लेने की हालत में नहीं थी।

सूत्रों का कहना है कि ख़ुफिया तंत्र ने भी ऐसी ही रिपोर्ट दी थी जिसमें कहा गया था कि कुछ नौकरशाहों के कारण बहुत खराब स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। नौकरशाही विधायकों तक का अपमान कर रही है। यही हाल रहा तो फिर बगावत हो सकती है। कई बार संकेत दिये जाने पर भी जब मामला नहीं संभला तो पीएम मोदी ने अपने सबसे भरोसेमंद नौकरशाह अरविंद को यूपी संभालने के लिये भेजा। अरविंद के आते ही भाजपा में भूचाल आ गया। इससे पहले राधा मोहन सिंह की भाजपा प्रभारी की नियुक्ति भी सभी को चौंका गयी थी क्योंकि जिस समय विपक्ष सीएम की जाति बताकर हमला कर रहा हो उस समय दूसरे क्षत्रिय नेता को प्रभारी बनाना किसी को समझ नहीं आया। अरविंद की यूपी में तैनाती से ही समझ आ गया कि अब सत्ता का दूसरा मजबूत केंद्र सामने आ गया है। अरविंद शर्मा के आते ही नेताओं और नौकरशाही में उनसे संपर्क साधने वालों की लाइन लग गयी है। सभी समझ रहे हैं कि आने वाले कुछ महीनों में कुछ और बड़ा होने जा रहा है। देखना यह होगा कि योगी खुद को चुनौती देने वाले इस सत्ता के दूसरे केंद्र को कैसे मैनेज करेंगे।
अखिलेश ने कसा तंज
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अरविंद शर्मा को विधान परिषद चुनाव में प्रत्याशी घोषित करने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा को मुख्यमंत्री को भी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करानी चाहिए। भाजपा सरकार से सभी दुखी है। 2022 का चुनाव बिल्कुल अलग होगा। जनता भाजपा को उखाड़ फेंकेगी।
जिस तरह पिछले दिनों पीएम मोदी ने सीएम योगी को दूर बिठाकर फोटो खिंचवा कर नाराजगी का संदेश दिया अब अरविंद शर्मा को यूपी भेजा जाना ये साबित करता है कि मोदी को योगी पर भरोसा नहीं रहा।
संजय सिंह, सांसद, आप
सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास की विचारधारा से जुड़े अरविंद कुमार शर्मा की कार्यक्षमता व कर्मठता से निश्चित ही पार्टी को एक नई गति मिलेगी।
स्वतंत्रदेव सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा
अरविंद शर्मा को यहां भेजना भाजपा का निजी मामला है लेकिन प्रदेश में योगी सरकार चार साल में हर मुद्ïदे पर पूरी तरह फेल रही है।
आराधना मिश्रा, विधायक, कांग्रेस

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