योगी कैबिनेट विस्तार को मिली हरी झंडी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच केंद्रीय नेतृत्व ने विस्तार को हरी झंडी दे दी है। इसके लिए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन मंत्री सुनील बंसल दिल्ली के नेताओं से मिलने गए और नए मंत्रियों के नामों पर चर्चा की। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नए मंत्रियों के नामों पर कोई अंतिम सहमति नहीं बन पाई है, लेकिन मंत्रिमंडल में पहले से शामिल कई मंत्रियों के विभागों और नए चेहरों को शामिल करने के मापदंड लगभग तय हो चुके हैं। संगठन का मानना है कि योगी सरकार के कार्यकाल में कई मंत्रियों के कारण सरकार असहज रही है, जबकि कई ने सरकार की साख बढ़ाई है। इस आधार पर मंथन के बाद करीब एक दर्जन मंत्रियों के नाम तय किए गए हैं, जिनके विभागों में बदलाव, बढ़ोतरी या कटौती की जा सकती है।
संगठन के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष और राधामोहन सिंह की पूर्व में हुई बैठकों में क्षेत्रीय नेताओं के साथ कई मंत्रियों के व्यवहार और जनता के प्रति उदासीनता को लेकर भी चर्चा हुई थी। उसी के आधार पर भी मंत्रियों की रिपोर्ट तैयार की गई है। संगठन ने इन मंत्रियों को व्यावहारिक स्तर पर बदलाव करने और जनता/क्षेत्र के नेताओं के साथ समन्वय सुधारने के निर्देश भी दिए थे, लेकिन माना जा रहा है कि कई मंत्री ऐसे हैं जिनमें अभी भी कोई खास बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए उनके विभागों में बदलाव या कटौती होगी।
मंत्रियों को हटाने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई, लेकिन संगठन के शीर्ष नेताओं और संगठन के विचारकों की राय है कि चुनाव से ठीक पहले ज्यादा मंत्रियों को हटाना जनता में गलत संदेश भेज सकता है। विपक्ष को सरकार के विफल मंत्रियों के रूप में बड़ा मुद्दा मिल सकता है इसलिए मंत्रियों को हटाने के कदम को यथासंभव टाला जाना चाहिए। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि सभी मंत्री एक जिले के प्रभारी मंत्री भी हैं और उनका प्रभाव अपने क्षेत्रों में भी है। करीब पांच साल तक मंत्री रहने के दौरान क्षेत्र की जनता पर प्रभाव का लाभ चुनाव में मिल सकता है। ऐसी स्थिति में यदि चुनाव से ठीक पहले किसी मंत्री को हटाया जाता है तो न केवल उनके समर्थकों को पार्टी से निराशा होगी, बल्कि उस जिले और क्षेत्र में पार्टी को समर्थकों और मतदाताओं को जोडऩे के लिए फिर से दो बार मेहनत करनी पड़ेगी। इसलिए हर लिहाज से संगठन ने संकेत दिए हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार में अगर किसी मंत्री को नहीं हटाया जाता है तो भी बेहतर होगा। हालांकि सूत्रों का यह भी कहना है कि अंत में अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसी मंत्री का कद बढ़ाने, बदलने, ट्रिम करने या हटाने का फैसला करते हैं तो फिर तस्वीर बदल सकती है।
केंद्रीय नेतृत्व के साथ हुई इस बैठक में संगठन में उपाध्यक्ष बनने वाले पूर्व नौकरशाह एके शर्मा और कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हुए जितिन प्रसाद के नाम पर भी चर्चा हुई है। माना जा रहा है कि इस बार भाजपा जातिगत और क्षेत्रीय समीकरणों को पूरी तरह से ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल विस्तार में फैसला ले रही है। वजह यह भी साफ है कि आने वाले दिनों में यूपी में विधानसभा चुनाव होने हैं और यूपी में जातिगत समीकरणों को संतुलित करना हर लिहाज से बीजेपी की प्राथमिकता है। यह प्राथमिकता पहले ही केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में देखने को मिल चुकी है।
जानकारी के अनुसार बता दें कि मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नामों की सूची केंद्रीय नेतृत्व को सौंप दी गई है। इस फैसले के बाद सूची मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजी जाएगी और उसके आधार पर आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल का विस्तार किया जाएगा। दिल्ली में यूपी के भाजपा संगठन के नेताओं की बैठकों के दौरान यूपी में एमएलसी के लिए नामों पर भी चर्चा हुई। हुआ। इस संबंध में संगठन ने निर्णय लिया है कि बाहरी लोगों के बजाय संगठन और पार्टी के लिए काम करने वाले लोगों को तरजीह दी जाएगी, ताकि वे आने वाले चुनाव में और गंभीरता से काम कर सकें।

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