कोरोना, प्राइवेट अस्पताल व सरकार

sanjay sharma

सवाल यह है कि इस बात की क्या गारंटी है कि निजी अस्पताल सरकार के निर्धारित मूल्य पर कोरोना मरीजों को इलाज मुहैया कराएंगे? क्या वे अन्य प्रकार से मरीजों का भयादोहन कर वसूली नहीं करेंगे? निजी अस्पतालों में सरकारी रेट पर इलाज मिल रहा है, इसकी जांच कौन करेगा? क्या बिना सतत निगरानी प्रक्रिया के सरकार की मंशा फलीभूत हो सकेगी?

उत्तर प्रदेश में कोरोना की रफ्तार थमती नहीं दिख रही है। यहां रोजाना छह हजार से अधिक केस मिल रहे हैं। दूसरी ओर कोरोना संक्रमण के इलाज के नाम पर निजी अस्पताल मरीजों को लूटने में जुटे हैं। निजी लैब भी जांच के नाम पर मनमाना शुल्क वसूल रही हैं। तमाम शिकायतों के मिलने के बाद प्रदेश सरकार ने निजी लैब में जांच और निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज का मूल्य तय कर दिया है। सवाल यह है कि इस बात की क्या गारंटी है कि निजी अस्पताल सरकार के निर्धारित मूल्य पर कोरोना मरीजों को इलाज मुहैया कराएंगे? क्या वे अन्य प्रकार से मरीजों का भयादोहन कर वसूली नहीं करेंगे? निजी अस्पतालों में सरकारी रेट पर इलाज मिल रहा है, इसकी जांच कौन करेगा? क्या बिना सतत निगरानी प्रक्रिया के सरकार की मंशा फलीभूत हो सकेगी? क्या महामारी में निजी अस्पतालों की कोई नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी नहीं बनती है? क्या मरीजों से पैसों की वसूली करना चिकित्सकीय पेशे को शर्मसार करने जैसा नहीं है?
भले ही यूपी सरकार ने कोरोना की निजी लैब में जांच और प्राइवेट अस्पतालों में इलाज के लिए मूल्य निर्धारित कर दिए हों लेकिन इसे जमीन पर उतारना बड़ी चुनौती है। ये निजी अस्पताल मरीजों से पैसा वसूलने के दूसरे तरीके अपनाएंगे। मसलन बिना जरूरत वेंटिलेटर की जरूरत बताकर मरीज से पैसा वसूल सकते हैं। इसके अलावा वे अन्य कई प्रकार से मरीज के परिजनों का भयादोहन कर पैसे की वसूली कर सकते हैं। हालत यह है कि कई अस्पतालों में निगेटिव को पॉजिटिव बताकर इलाज कर पैसा वसूला जा रहा है। लखनऊ के कुछ अस्पतालों से इस प्रकार की कई शिकायतें सामने आ चुकी हैं। यही नहीं ये अस्पताल संक्रमण की पुष्टिï के बाद इसकी सूचना तक सीएमओ ऑफिस को नहीं देते हैं और इलाज कर परिजनों से मनमानी पैसा वसूलते हैं। लखनऊ में केवल 28 निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज के लिए चिन्हित किया गया है बावजूद इसके तमाम अस्पताल बिना अधिकार संक्रमित मरीजों का इलाज कर अपनी जेबें भरने में जुटे हुए हैं। इसमें दो राय नहीं कि सरकार ने लोगों को राहत देने के लिए जांच और इलाज का मूल्य निर्धारित कर दिया है लेकिन जमीन पर इसे उतारना किसी चुनौती से कम नहीं है। यदि सरकार लोगों को वास्तविक राहत देना चाहती है तो उसे ऐसे अस्पतालों की सतत निगरानी करनी होगी। साथ ही इस बात की जानकारी भी रखनी होगी कि निजी अस्पतालों में आदेशों का पालन हो रहा है या नहीं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो निजी अस्पतालों की लूट से मरीजों को बचाना बेहद मुश्किल होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button