सीएम योगी के निर्देश ताक पर, राजधानी में कड़ाके की ठंड में सड़कों पर सो रहे लोग

  • सरकारी तंत्र के नाकारापन के कारण नहीं हो सके पर्याप्त रैन बसेरों के इंतजाम
  • 4पीएम टीम के अनुराग सिंह ने खोली सरकारी दावों की जमीनी हकीकत की पोल
  • गरीब और मजदूरों ने सड़क को बनाया बिस्तर, खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर
  • राजधानी के हनुमानसेतु समेत कई इलाकों में तमाम लोग आग के सहारे भी काट रहे रात
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों के बावजूद प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए पर्याप्त रैन बसेरों का इंतजाम नहीं किया गया। लिहाजा कड़ाके की ठंड में गरीब और मजदूर सड़कों पर खुले आसमान के नीचे रात काटने को मजबूर हैं। कई लोग अलाव के सहारे पूरी रात काट रहे हैं। हनुमानसेतु से लेकर राजधानी के कई इलाकों में यही हाल है। सबकुछ जानते हुए भी जिम्मेदारों को ठंड से ठिठुरते इन गरीबों की सुध नहीं है। राजधानी समेत पूरे प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। पारा लगातार गिरता जा रहा है। कुहासे ने भी कहर बरपा रखा है। सीएम योगी ने अफसरों को सर्दी को देखते हुए गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए पर्याप्त संख्या में रैन बसेरों और अलाव का इंतजाम करने का निर्देश दिया था। 4पीएम टीम के अनुराग सिंह ने जब इसकी जमीनी हकीकत जानने की कोशिश की तो सरकार के दावों की पोल खुल गई। हनुमानसेतु से लेकर राजधानी के कई इलाकों में लोग सड़कों पर खुले आसमान के नीचे सोते मिले। रायबरेली के शिवकरन यहां मजदूरी करते हैं। उन्होंने बताया कि रैन बसेरों की संख्या पर्याप्त नहीं होने के कारण उन्हें जगह नहीं मिल पाती है। इसके कारण वे हनुमानसेतु में जिस सड़क या फुटपाथ पर जगह मिल जाती है, वे वहीं अपना बिस्तर लगा देते हैं। आजमगढ़ से मजदूरी करने आए संजय की भी यही पीड़ा है। सीतापुर निवासी अरुण और हरदोई निवासी रानू पांडेय भी मजदूरी करने आए हैं। रैन बसेरे के नाम पर कहते हैं, जगह ही नहीं मिलती वहां। ऐसे में मजबूरी में सड़कों पर सो जाते हैं। अशोक पाठक का कहना है कि आधार कार्ड नहीं होने के कारण रैनबसेरे में प्रवेश करने नहीं दिया जाता है। यही हाल राजधानी के तमाम इलाकों का है। जाहिर है सीएम योगी के आदेशों को अफसरशाही दरकिनार कर रही है। ऐसे में गरीबों और बेसहारा ठंड में ठिठुर रहे हैं।
ये थे आदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया था है कि सर्दी को देखते हुए अफसर रैन बसेरों की व्यवस्था दुरुस्त कराकर रहने लायक बना दें। कम्बल-बिस्तर आदि की व्यवस्था कर दें। रैन बसेरों में शौचालय का इंतजाम जरूर हो। महिलाओं के ठहरने के लिए भी उचित इंतजाम किए जाएं।

सीमा पर फिर झड़प, चीन के 20 सैनिक जख्मी
  • सिक्किम में घुसपैठ करने की कर रहे थे कोशिश, भारतीय सैनिकों ने खदेड़ा
  • एलएसी पर जारी है तनाव, सैन्य कमांडरों के बीच हुई बैठक
4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा पर एक बार फिर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई। चीन के सैनिक सिक्किम के नाकूला में सीमा की यथास्थिति को बदलने का प्रयास कर रहे थे। झड़प में बीस चीनी और चार भारतीय सैनिकों के जख्मी होने की सूचना है। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तनाव के बीच सिक्किम में भारत और चीन की सेना के बीच झड़प हुई। सूत्रों के मुताबिक नाकूला में भारत-चीन के सैनिक भिड़ गए, जिसमें चार भारतीय और 20 चीनी जवान घायल हुए। स्थिति तनावपूर्ण लेकिन स्थिर है। तनाव को कम करने के लिए पूर्वी लद्दाख के मोल्डो में भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच कल 9वें दौर की बातचीत हुई। हालांकि अभी इस बैठक का निष्कर्ष अभी सामने नहीं आया है। सिक्किम के नाकूला में घुसपैठ की कोशिश उस वक्त हुई है, जब खबर है कि चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख से अपने 10 हजार जवानों को हटाया है। चीनी सेना ने तैनाती को कम किया है, लेकिन जवान डटे हैं। लिहाजा भारतीय सेना सतर्क है और उसके जवान सीमा पर तैनात हैं।
गलवान घाटी में हुई थी खूनी झड़प
इसके पहले 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिक और भारतीय जवान भिड़ गए थे। इस दौरान 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे, जबकि चीनी सेना के कई अफसर-जवान मारे गए थे, लेकिन चीनी सेना ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
हल कर लिया गया है मामला : भारतीय सेना
भारतीय सेना ने बयान जारी कर कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि 20 जनवरी को सिक्किम के नाकूला में भारतीय सेना और चीन के पीएलए सैनिकों के बीच मामूली झड़प हुई थी। इसे स्थानीय कमांडरों द्वारा स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार हल कर लिया गया है।

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