जानिए भूपेंद्र पटेल की उन खूबियों के बारे में, जिसके चलते वो हैं शीर्ष नेतृत्व की पसंद

कुछ ही देर में लेने वाले हैं मुख्यमंत्री पद की शपथ

नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल एक बार फिर अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने जा रहे हैं. गुजरात में उन्होंने वो कर दिखाय है जो किसी के लिए भी फक्र की बात होती है. पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान आह्वान किया था नरेंद्र का बनाया रिकॉर्ड भूपेंद्र तोड़ेंगे. बिल्कुल ऐसा ही हुआ सीएम भूपेंद्र के नेतृत्व में गुजरात भाजपा ने वो कर दिखाया जो आज तक किसी ने नहीं किया था. भूपेंद्र पटेल के 5 वो कारण जिनके चलते वो आज पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का भरोसा जीत लिया है.
भूपेन्द्र पटेल काफी सौम्य स्वभाव के व्यक्ति हैं यही वजह है कि एक साल के अंदर ही वे न केवल अपने नेताओं नरेंद्र मोदी और अमित शाह का दिल जीत लिया बल्कि उन्होंने कार्यकाल में ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की नजर में अपनी अलग छवि बना ली. वैसे राजनीतिक हलकों में कहा जाता है कि भूपेन्द्र पटेल को पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है. कहा जाता है कि भूपेन्द्र पटेल की एक तरह से वे राजनीतिक गुरु भी रहीं हैं. बतौर मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल पोरबंदर में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई करके आम लोगों के भी हीरो बन गए. यूपी की तरह उन्होंने भी बुलडोजर दादा भी कहा गया. पीएम मोदी ने भी चुनाव प्रचार के दौरान भूपेंद्र पटेल की इस कार्रवाई की तारीफ की थी. इसके बाद ही नरेंद्र और भूपेन्द्र की डबल इंजन की सरकार का स्लोगन गुजरात में हिट हुआ.
जिस गुजरात के करीब 80 प्रतिशत विधायक करोड़पति हैं वहां मुख्यमंत्री रहने के बावजूद. 2022 के चुनाव में दिए शपथ पत्र में भूपेन्द्र पटेल ने 22 लाख रुपये की संपत्ति का खुलासा किया है. भूपेन्द्र पटेल के नाम पर आज तक कोई जमीन नहीं है. पत्नी हेतल बेन पटेल के नाम पर 16 लाख 30 हजार रुपये की कीमत की एक छोटी सी जमीन है. भूपेन्द्र पटेल के पास 2 लाख 15 हजार 450 रुपये की नगदी है जबकि पत्नी के पास तीन लाख 52 हजार 350 रुपये की नगदी है.
सिविल इंजीनिरिंग में डिप्लोमा रखने वाले भूपेंद्र पटेल 2015-2017 के बीच अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के प्रमुख रह चुके हैं. इससे पहले वह 2010 से 2015 के बीच अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) की स्थायी समिति के प्रमुख रहे. पर उन्होंने कभी राजनीतिक इच्छा नहीं पाली. कभी तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल के बहुत खास होने के बाद भी विधायक बनने की कोशिश नहीं की. पर बाद में पीएम मोदी की तरह उन्हें भी सीधे गुजरात का मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मिला.
भूपेंद्र पटेल सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के न्यासी भी हैं. यह पाटीदार समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए समर्पित संगठन है. पटेल गुजरात में चुपचाप अपने समाज के लिए सामाजिक कार्यों की महती जिम्मेदारी निभाते रहे हैं. अपने समकालीन कई पाटीदार नेताओं की तरह उन्होंने कभी अपने समुदाय को वोटों के लिए इस्तेमाल नहीं किया. यहीं कारण है कि उनको पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल की जगह प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के लिए पसंद किया गया. यह सभी जानते हैं कि गुजरात में पटेल वोटों का क्या महत्व है. पाटीदार आंदोलन के चलते ही बीजेपी 2017 में केवल 99 सीट पर सिमट गई थी. मोदी और शाह जानते हैं कि गुजरात पर लंबे समय तक राज करना है तो किसी भरोसेमंद पटेल फेस को आगे रखना होगा. गुजरात में पाटीदार जाति का वर्चस्व शिक्षा, रियल्टी और सहकारिता क्षेत्रों पर भी है. पाटीदार की एक जाति केडवा’ से ताल्लुक रखने वाले भूपेंद्र पटेल को फिर मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाकर पार्टी ने गुजरात में वो काम किया जो अब तक किसी ने नहीं किया था.
वोट पर्सेंटेज और जीत का अंतर बताता है कि जनता के बीच भी लोकप्रिय हैं भूपेंद्र पटेल. भाजपा यू हीं नहीं पहले ही ऐलान कर चुकी थी की पार्टी को बहुमत मिलने पर भूपेंद्र पटेल ही राज्य के मुख्यमंत्री होंगे. क्योंकि ओपिनियन पोल्स’ में वह गुजरात का नेतृत्व करने के लिए लोगों की पहली पसंद के तौर पर उभरे थे. अहमदाबाद में जन्मे भूपेंद्र पटेल घाटलोडिया सीट से पहले पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल विधायक बनतीं थीं. भूपेंद्र पटेल ने 2017 में 1.17 लाख मतों के अंतर से यह सीट जीती थी. 2022 में पटेल ने 1.92 लाख मतों के अंतर से घाटलोडिया सीट पर जीत दर्ज की है.

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