इस तरह से पैदा हुए बच्चों पर है सिर्फ मां का अधिकार, केरल हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

कोच्चि। केरल हाईकोर्ट में आईवीएफ से पैदा हुए बच्चे के मामले में सुनवाई के दौरान बड़ा फैसला आया है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आईवीएफ के जरिए पैदा होने वाले बच्चे पर सिर्फ मां का ही अधिकार होता है। आईवीएफ से जन्म लेने वाले बच्चे के जन्म-मृत्यु पंजीकरण के लिए पिता के बारे में जानकारी मांगना उचित नहीं है। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि आईवीएफ जैसी असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी (एनआरटी) की मदद से महिला को सिंगल मदर के तौर पर मान्यता मिली है। ऐसे में अगर आईवीएफ के जरिए पैदा हुए बच्चे के पिता के बारे में जानकारी मांगी जाती है तो यह मां और उसके बच्चे के सम्मान के अधिकार को प्रभावित करने वाला कदम है।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें आईवीएफ के जरिए पैदा हुए बच्चों के जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए अलग-अलग फॉर्म तैयार करें। कोर्ट को स्पष्ट करना होगा कि किसी भी महिला को सिंगल मदर बनने का अधिकार है। अविवाहित महिला के एकल माता-पिता या एआरटी से मां बनने के अधिकार को स्वीकार कर लिया गया है। इसके बावजूद पिता के नाम की जानकारी मांगने का कोई मतलब नहीं है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह निजता के अधिकार, स्वतंत्रता और मां के साथ-साथ उसके बच्चे के सम्मान का उल्लंघन है।
हाईकोर्ट ने तलाकशुदा महिला की याचिका पर यह फैसला सुनाया। दरअसल महिला ने आईवीएफ के जरिए गर्भधारण कर बच्चे को जन्म दिया था। जब बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की बात आई तो उससे पिता के नाम की जानकारी मांगी गई। पहले तो उसने इससे इनकार किया लेकिन बाद में महिला से कहा गया कि केरल जन्म और मृत्यु पंजीकरण नियम 1970 के तहत ऐसा करना अनिवार्य है। इसके बाद महिला ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। महिला ने कोर्ट को बताया कि वह पिता का नाम नहीं बता सकती। आईवीएफ के जरिए पैदा हुए बच्चों के पिता की पहचान गोपनीय रखी जाती है। महिला ने यह भी कहा कि अगर उससे उसके पिता के नाम के बारे में जानकारी मांगी जाती है, तो यह उसके निजता, स्वतंत्रता और सम्मान के अधिकार का उल्लंघन है।

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