10 लाख ग्रामीणों को सीएम योगी कल देंगे बड़ा उपहार

  • ग्रामीणों को घरौनी प्रमाण पत्र मिलने से मिलेगी काफी राहत

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली बड़ी आबादी को सीएम योगी आदित्यनाथ कल बड़ा उपहार देने जा रहे हैं। स्वामित्व योजना के तहत 1081062 ग्रामीणों को वो डिजिटल माध्यम से उनके आवास का मालिकाना हक दिलाने वाला दस्तावेज (ग्रामीण आवासीय अभिलेख यानी घरौनी प्रमाण पत्र) सौंपेंगे। योजना का लाभ पाने वाले ग्रामीणों को घरौनी प्रमाण पत्र मिलने से काफी राहत मिलेगी। उनके लिए बैंकों से लोन प्राप्त करना आसान हो जाएगा। अन्य आवश्यक सेवाओं को प्राप्त करने में भी घरौनी के दस्तावेज उनके काम आ सकेंगे। राज्य सरकार स्वामित्व योजना के तहत सभी 75 जनपदों में घरौनियां तैयार किए जाने का कार्य बड़ी तेजी से कर रही है। अभिलेखों को तैयार करने के लिए 1,10313 ग्रामों को चिन्हित किया गया है। 24 अप्रैल 2020 को प्रधानमंत्री मोदी की ओर से शुरू की गई स्वामित्व योजना का लाभ सीएम योगी आदित्यनाथ यूपी की ग्रामीण जनता को भी दिला रहे हैं। स्वामित्व योजना के तहत 20 जून तक प्रदेश के कुल 68641 ग्रामों में ड्रोन सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है।

23287 ग्रामों में कुल 3428305 घरौनियां तैयार हो चुकी हैं। योजना के तहत ग्रामीण आवासीय अभिलेखों का निर्माण हो जाने पर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पत्ति संबंधी विवाद काफी कम हो जाएंगे। स्वामित्व का अभिलेख बन जाने पर न्यायालय में चल रहे विवादों का निस्तारण जल्द होगा। आबादी क्षेत्र का प्रारंभिक डाटा मिलने पर सरकार विकास की योजनाओं को आसानी से संचालित करा सकेगी। इन अभिलेखों के तैयार हो जाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय तरलता एवं वित्तीय सुदृढ़ता के साथ ही विकास की प्रक्रिया को भी गति मिलेगी। बता दें कि राज्य सरकार स्वामित्व योजना के तहत प्रदेश में 23 दिसम्बर 2021 तक 5 चरणों में कुल 15940 ग्रामों में 2347243 घरौनियों का वितरण कर चुकी है। सरकार ने पहले चरण में 11 अक्टूबर 2020 को 346 ग्रामों में 41731, दूसरे चरण में 25 दिसम्बर 2020 को 229 ग्रामों में 10041, तीसरे चरण में 12 फरवरी 2021 को 1001 ग्रामों में 157224, चतुर्थ चरण में 24 अप्रैल 2021 को 427 ग्रामों में 53424 और पांचवें चरण में 23 दिसम्बर 2021 को 13937 ग्रामों में 2084823 घरौनियों का वितरण किया है।

सरकार ने जारी की कृत्रिम बालू बनाने की नीति

लखनऊ। योगी सरकार ने पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में कृत्रिम बालू बनाने की नीति जारी कर दी है, जिससे प्रदेश में हुई बालू की कमी को अब कृत्रिम बालू से दूर होगी। खनन के दौरान निकलने वाले अनुपयोगी पत्थरों को पीसकर कृत्रिम बालू बनाई जाएगी। सरकार के इस फैसले से जहां नदियों से निकलने वाली बालू का विकल्प कृत्रिम बालू बनेगी, वहीं नदियों पर निर्भरता कम होने से पर्यावरण संरक्षण भी हो सकेगा। भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग की सचिव रोशन जैकब की ओर से जारी नीति के अनुसार कृत्रिम बालू के उत्पादन में इमारती पत्थर की खदानों के पट्टाधारकों को प्राथमिकता दी जाएगी। कृत्रिम बालू के उत्पादन के लिए पूर्व में स्थापित या फिर नया संयंत्र स्थापित करने वाली फर्म को कुल देय राशि पर 20 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। कृत्रिम बालू उत्पादन नीति के तहत क्षेत्र में जमा रिजेक्ट पत्थर की मात्रा में मिट्टी की मात्रा घटाकर लाट की मात्रा का निर्धारण डीएम की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी। स्टोन डस्ट की तरह रिजेक्ट पत्थर की रायल्टी की दर 100 रुपये प्रति घनमीटर होगी। अनुपयोगी पत्थरों को हटाने और कृत्रिम बालू तैयार करने का लाइसेंस एक वर्ष के लिए दिया जाएगा। डीएम विशेष परिस्थिति में उस अवधि को एक वर्ष बढ़ा सकेंगे।

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