तो यूपी में सीएम चेहरा बदल सकती है भाजपा!

योगी की कार्यशैली से परेशान रहे मंत्री और विधायक

4पीएम की परिचर्चा में उठे कई सवाल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी में चुनावी तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। भाजपा के कई बागी विधायक व मंत्रियों ने सपा की सदस्यता ले ली है। इससे भाजपा में बहुत बेचैनी है। योगी के बागी तेवर और अहंकार ने भाजपा को घुटनों पर ला दिया है। अचानक केशव प्रसाद मौर्य मुख्य धारा में शामिल हो गए हैं। क्या भाजपा किसी पिछड़ी जाति के चेहरे को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करेगी या योगी को सीएम चेहरा बनाए बिना चुनाव में उतरेगी? ऐसे कई सवाल उठे वरिष्ठï पत्रकार श्रवण गर्ग, उमाकांत लखेड़ा, ममता त्रिपाठी, उमाशंकर दुबे, अजय शुक्ला, दीपक शर्मा, अभिषेक कुमार और 4पीएम के संपादक संजय शर्मा के बीच चली लंबी परिचर्चा में।
ममता त्रिपाठी ने कहा, जिस तरह योगी आदित्यनाथ सरकार चला रहे थे, यही होना था। इसके पहले भी उनके विधायक धरने पर बैठ थे। मंत्रियों के विभाग के फैसले खुद सीएम योगी लेते थे। अभी तो असली पिक्चर बाकी है। हालांकि अब भाजपा योगी को हटाएगी नहीं। उमाकांत लखेड़ा ने कहा, पिछले चुनाव में भाजपा को लगा कि हिंदुत्व के नाम पर जातिवाद प्रदेश से खत्म हो गया है लेकिन ऐसा हुआ नहीं है। पिछड़े और दलितों के बीच काफी गुस्सा है। इसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ेगा। अजय शुक्ला ने कहा, अखिलेश को जनता को यकीन दिलाने की जरूरत है कि वे अच्छे नेता साबित होंगे। पिछले बार उन पर जो आरोप लगते रहे हैं उससे वे बाहर निकलने की कोशिश करें। दीपक शर्मा ने कहा, योगी कहने से कोई उपयोगी नहीं होता है। मंत्री और विधायकों की सुनी नहीं गयी। सीएम योगी उनके कई निर्णयों को नकारा दिया। श्रवण गर्ग ने कहा, भाजपा के ब्रांड मोदी है और उनके नाम पर वोट मिलता है। चुनाव के बाद योगी के बारे क्या होता है यह देखना होगा। अभिषेक कुमार ने कहा, योगी पूरी तरह प्रजातांत्रिक है लेकिन केंद्र से आदेश दिया गया था कि उन्हें किसी की नहीं सुननी है। यह आदेश ही योगी के पर कतरने की शुरुआत मानी जा सकती है।
जयशंकर दुबे ने कहा कि वे अधिकांश मठ पर रहते है। उनका नेतृत्व अलग रहा है। जब नाराज होते है तो मठ में बैठ जाते हैं। उनका व्यक्तित्व दबंगई वाला है।

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