भाषा विश्वविद्यालय पर फिर उठे सवाल : बीएजेएमसी के अंतिम सेमेस्टर में 90 फीसदी छात्र फेल, जांच के आदेश

  •  अंतिम वर्ष के छात्रों के परिणाम में भारी गड़बड़ी
  • कुलपति से शिकायत के बाद कार्रवाई का आश्वासन

लखनऊ। कोरोना काल में एक तरफ जहां कोई भी छात्र फेल नहीं हो रहा तो वहीं दूसरी तरफ भाषा विश्वविद्यालय में बीएजेएमसी के अंतिम सेमेस्टर में 90 फीसदी छात्र फेल कर दिए गए हैं। नाराज छात्रों ने जब इसकी शिकायत कुलपति अनिल शुक्ला से की तो विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं। ख्वाजा मोइनद्ïदीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में लगातार एक के बाद एक गड़बड़ी सामने आ रही है। ताजा मामला विश्वविद्यालय के ही पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग का है यहां पर बीएजेएमसी अंतिम वर्ष के 90 फीसदी छात्रों को एक ही विषय में फेल कर दिया गया है। इसको लेकर छात्रों में और रोष का माहौल है, जिस पर छात्रों के एक गुट ने आज कुलपति से मुलाकात कर उन को ज्ञापन सौंपा है। पूरे मामले में कुलपति ने जांच कराकर कार्यवाही करने का भरोसा दिया है। पिछले दिनों भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था जब प्रोफेसर महरूख मिर्जा विश्वविद्यालय के कुलपति थे। उस समय छात्रों को 100 में से 107 और 105 नंबर दिए गए थे। यह दूसरा मामला जब सामने आया है। जब विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अनिल कुमार शुक्ला बने हैं। यह भी बता दें कि विवि पर सवाल पहली बार नहीं उठे हैं, इससे पहले भी कई बार सवाल उठ चुके हैं। छात्रों का विवि पर आरोप है कि बैक पेपर के पैसे वसूली को लेकर छात्रों को फेल किया गया है। छात्रों ने कोरोना काल में पैसे न होने की असमर्थता भी जताई है। बावजूद विवि प्रशासन ने छात्रों को फेल कर दिया है।

डेढ़ घंटे में तीन पेपर हल कराने का भी आरोप

छात्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोरोना काल में छात्रों को कोई विशेष सहायता भी उपलब्ध नहीं कराई गई। ऊपर से एक ही विषय में सभी छात्रों को को फेल कर दिया गया है। इतना ही नहीं, छात्रों ने आगे कहा कि मात्र डेढ़ घण्टे में तीन विषयों के पेपर देने थे। जो कि आसान नहीं था। और ये बात विवि प्रशासन भी जानता था, लेकिन छात्रों के बारे में बिना सोचे समझे ये फैसला लिया गया था। जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ा।

छात्रों ने इस संबंध में कुलपति अनिल शुक्ला को ज्ञापन सौंपा है। फिलहाल मामले को दिखवाया जा रहा है। फेल छात्रों का आरोप निराधार है। हां अगर आपत्ति है, तो भी मामले की जांच करवाई जा रही है।

अतर रहमान, परीक्षा नियंत्रक, भाषा विश्वविद्यालय

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