30 दिनों में 16 बार बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम : अखिलेश यादव

  • दिवंगत कोरोना योद्धाओं के स्वजन की मदद में भी संवेदनहीनता
  • भाजपा बड़े-बड़े थोथे वादे करके उससे मुकर जाने वाली पार्टी

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्टï्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर दिवंगत कोरोना योद्धाओं के स्वजन की मदद में संवेदनहीनता बरतने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कानपुर में मरने वाले दारोगा मुकेश आर्य के परिजनों को सात महीने बाद भी न नौकरी मिली और न ही पेंशन। मां को साथ लेकर बेटा अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है। शासन ने दारोगा के परिवार को 50 लाख रुपए की सहायता का ऐलान किया था जो उसे आज तक नहीं मिले। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यह भी आरोप लगाया कि संक्रमण से मरने वाले कोरोना योद्धाओं की सूची में भी गड़बड़ी हो रही है। कानपुर के काकादेव थाने में तीन दारोगा समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हुई, लेकिन शासन को दो दारोगा के ही नाम भेजे गए। लखनऊ में कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले एलडीए के इंजीनियर एसके अग्रवाल के परिजन को भविष्य निधि का एक पैसा भी नहीं दिया गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महंगाई के मुद्दे पर भी भाजपा सरकार को घेरा। उन्होंने ट्वीट किया सुना है 30 दिनों में 16 बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं। लगता है सेंट्रल विस्टा के प्रधान-निवास, कार्यालय, महाविमान व भाजपाई चुनाव खर्च का बोझ जनता के टैक्स के कंधों पर आ गया है। पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, दाल, सरसों, दूध और घी सभी के दाम बढ़ने से महंगाई ने कमर तोड़ दी है। इसके बाद भी सरकार कह रही है कि सब चंगा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने जनता की अपेक्षाओं और अपने ही घोषित निर्णयों का मजाक बनाकर लोकतंत्र की भावनाओं पर गहरा आघात किया है। यह तो शुरू से ही लगा था कि भाजपा बड़े-बड़े थोथे वादे करके उससे मुकर जाने वाली पार्टी है। अपने बड़बोलेपन को ही वह जुमले बता देते हैं। चार वर्ष के कार्यकाल में ही भाजपा सरकार ने जनता के विश्वास को धोखा दिया है और सबके साथ के नारे को भुला दिया है।

अब तक कोरोना पीड़ितों को नहीं मिली आर्थिक मदद

कोरोना की महामारी के दौर में दिन रात एक कर मरीजों की सेवा में लगे स्वास्थ्य कर्मियों तथा अन्य कर्मचारियों के संक्रमण में मृत्यु पर मुख्यमंत्रीजी उनके परिवारजनों को आर्थिक मदद के एलान करते रहे। प्रधानमंत्रीजी तो कोरोना में जान गंवाने वालों की याद में कई बार भावुक होते दिखाई दिए हैं लेकिन हर वादे को धुएं की तरह हवा में उड़ा देने में भाजपा ने बड़ी महारत हासिल कर ली है। कोरोना के कारण जान गंवाने वालों के साथ नाइंसाफी से भाजपा सरकार की अमानवीयता और संवेदनहीनता की साफ झलक मिलती है। कानपुर में जान गंवाने वाले दारोगा मुकेश आर्य के परिजनों को सात माह बाद भी ना नौकरी मिली और नहीं पेंशन। मां को साथ लेकर बेटा अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है। शासन ने स्वीकृत की थी 50 लाख की सहायता राशि जो बंटी नही। अधिकारी कोरोना से जान देने वालो की सूची में भी गड़बड़ी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। भाजपा न तो कोरोना से लड़ाई में गंभीर है और नहीं कोरोना संक्रमित सेवाकर्मियों की शहादत का सम्मान करती है, उसके नेता तो बस विधानसभा चुनाव लड़ने की रणनीति बनाने में ही जुटे हुए हैं।

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