सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने के केंद्र के फैसले को बरकरार रखा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक एसके मिश्रा के कार्यकाल को नवंबर 2021 तक बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उन्हें और कोई सेवा विस्तार नहीं दिया जा सकता है। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने जोर देकर कहा कि हालांकि केंद्र के पास कार्यकाल बढ़ाने की शक्ति है, लेकिन यह केवल असाधारण मामलों में ही किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई और विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए और याचिका खारिज कर दी जाती है।
शीर्ष अदालत का फैसला एनजीओ कॉमन कॉज द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर आया है, जिसमें प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के कार्यकाल के विस्तार को चुनौती दी गई है। एनजीओ की याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने यह सुनिश्चित करने के लिए घुमावदार रास्ता अपनाया है कि मिश्रा को 18 नवंबर, 2018 के नियुक्ति आदेश को पूर्वव्यापी रूप से संशोधित करके ईडी निदेशक के रूप में एक और वर्ष मिले। एनजीओ ने अपनी याचिका में तीन प्रतिवादी बनाए हैं: राजस्व विभाग , वर्तमान ईडी निदेशक, और केंद्रीय सतर्कता आयोग। एनजीओ द्वारा दायर याचिका में 13 नवंबर, 2020 को रद्द करने के आदेश के साथ-साथ केंद्र को ईडी निदेशक को पारदर्शी तरीके से और केंद्रीय सतर्कता की धारा 25 के आदेश के अनुसार नियुक्त करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंचने वाले अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तार दुर्लभ और असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए। भारतीय राजस्व सेवा के एक अधिकारी मिश्रा को 19 नवंबर 2018 को एक आदेश द्वारा दो साल की अवधि के लिए ईडी के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था और बाद में 13 नवंबर 2020 को एक आदेश के माध्यम से केंद्र सरकार ने पूर्व-प्रभावी परिवर्तन किए नियुक्ति पत्र में और उनके दो साल के कार्यकाल को बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया था।

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