अब पंजाब की पिच पर बैटिंग आसान नहीं सिद्धू के लिए

नई दिल्ली। पंजाब में कांग्रेस हाईकमान अंदरूनी कलह को खत्म करने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद हालात जस के तस बने हुए हैं। कांग्रेस को अभी नवजोत सिंह सिद्धू के बारे में कोई फैसला नहीं लेना है और विधानसभा चुनाव से पहले सिद्धू को अहम जिम्मेदारी देने की अटकलों के बीच सीएम कैप्टन के कट्टर विरोधी माने जाने वाले राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा भी उनके साथ हो गए हैं।

इस बीच बदलते राजनीतिक हालात के बीच सिद्धू का रवैया भी तीखा हो गया है। सिद्धू भले ही खुलकर न बोल रहे हों, लेकिन उन्होंने इशारों-इशारों में साफ कर दिया है कि वह पीछे हटने वाले नहीं हैं। सिद्धू ने रविवार को कहा कि वह सिर्फ चुनाव जीतने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शोपीस नहीं हैं। इतना ही नहीं सिद्धू ने कहा कि सिस्टम ने खुद को बदलने से मना कर दिया, इसलिए मैंने खुद सिस्टम को नकार दिया। सिद्धू के ये बयान निश्चित तौर पर कांग्रेस आलाकमान के लिए भी चिंता का विषय होंगे। सिद्धू का यह बयान तब आया है जब कांग्रेस हाईकमान पंजाब में गुटबाजी खत्म करने की पूरी कोशिश कर रहा है।
विधानसभा चुनाव से पहले भी सिद्धू को कोई बड़ा पद दिया गया था, लेकिन कांग्रेस विरोधी नेता एकजुट हो गए हैं। राज्यसभा सांसद और सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के कट्टर विरोधी प्रताप सिंह बाजवा द्वारा दिए गए बयान से साफ जाहिर होता है कि सिद्धू के खिलाफ लामबंदी शुरू हो गई है। बाजवा ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर आप पार्टी में आए हैं तो कुछ समय दीजिए। पार्टी आपको जो देती है, वही करें। हालांकि बाजवा ने यह भी कहा कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि सिद्धू को किसी को नहीं दिया जाए। बाजवा ही नहीं, कैप्टन के कट्टर विरोधी रहे कई कांग्रेसी नेता सिद्धू के मुद्दे पर कैप्टन के साथ खड़े नजर आ रहे हैं।
ऐसे समय में जब सिद्धू के साथ कांग्रेस का कोई बड़ा रुख नहीं दिख रहा है, यह देखना दिलचस्प होगा कि वह आगे क्या फैसला करेंगे। इतना ही नहीं तमाम अड़चनों के बाद विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान सिद्धू को क्या जिम्मेदारी देता है, हर किसी की नजर भी इस पर होगी। फिलहाल मंगलवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह एक बार फिर हाईकमान से मिलने जा रहे हैं और इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के भी मौजूद रहने की उम्मीद है।

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