ब्रिक्स सम्मेलन और भारत की उम्मीदें

sanjay sharma

सवाल यह है कि क्या आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों के खिलाफ ब्रिक्स के देश एकजुट होकर कदम उठाएंगे? क्या चीन अपने प्रिय दोस्त पाकिस्तान पर लगाम लगाएगा? क्या ब्रिक्स देश आपसी आर्थिक सहयोग को मजबूती दे सकेंगे? क्या वैश्विक संस्थाओं में सुधार की बात पर ब्रिक्स देश एकमत हो सकेंगे?

कोरोना काल में ब्रिक्स सम्मेलन का आयोजन वर्चुअल तरीके से किया गया। इस शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों ने भाग लिया। भारत ने सम्मेलन में आतंकवाद, आर्थिक सहयोग और संयुक्त राष्टï्र समेत अन्य वैश्विक संस्थाओं में सुधार का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री मोदी ने बढ़ते आतंकवाद पर न केवल चिंता जताई बल्कि इसे फैलाने वाले देशों के सहयोगी देशों को भी दोषी ठहराने की वकालत की। सवाल यह है कि क्या आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों के खिलाफ ब्रिक्स के देश एकजुट होकर कदम उठाएंगे? क्या चीन अपने प्रिय दोस्त पाकिस्तान पर लगाम लगाएगा? क्या ब्रिक्स देश आपसी आर्थिक सहयोग को मजबूती दे सकेंगे? क्या वैश्विक संस्थाओं में सुधार की बात पर ब्रिक्स देश एकमत हो सकेंगे? क्या सदस्य देश अपने स्वार्थों और टकराव को कम कर बड़े आर्थिक लक्ष्य और जनकल्याण की भावना से काम कर सकेंगे? क्या इस सम्मेलन से चीन और भारत के बीच बढ़े तनाव में कोई कमी आएगी? क्या ब्रिक्स सम्मेलन महज एक बैठक भर साबित होकर रह जाएगा?
ब्रिक्स पांच उभरती अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का संगठन है। 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के समय बने इस समूह का लक्ष्य अंतरराष्टï्रीय आर्थिक और वित्तीय मामलों पर सहयोग, नीति समन्वय और राजनीति संवाद स्थापित करना है। लेकिन यह संगठन अपने लक्ष्यों से कोसों दूर है। सदस्य देश चीन और भारत के बीच तनाव चरम पर है। भारत की तमाम कोशिशें के बावजूद चीन के साथ विश्वास बहाली नहीं हो सकी है। चीन भारत को घेरने की कोशिश करता रहता है। वह भारत में आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करने वाले पाकिस्तान का खुलकर समर्थन करता है। ऐसी स्थिति में भारत की यह मंशा कि ब्रिक्स देश आतंकवादी गतिविधियों को फैलाने वाले राष्टï्रों के खिलाफ एकजुट होंगे और वैश्विक शक्तियां आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देशों के सहयोगी देशों को दोषी ठहराएंगी, जमीन पर शायद ही उतर सके । रूस भी इस मामले में चीन के खिलाफ कभी खुलकर भारत का साथ नहीं देगा क्योंकि चीन ने रूस में काफी निवेश कर रखा है। जहां तक आर्थिक सहयोग का सवाल है, ब्रिक्स देशों के बीच असंतुलन है। व्यापार के लिहाज से चीन का पलड़ा भारी रहता है। वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिहाज से भारत को रूस, ब्राजील, और दक्षिण अफ्रीका का साथ मिल सकता है। हालांकि चीन यहां भी अड़ंगा लगाने से बाज नहीं आएगा। बावजूद इसके सम्मेलन में भारत ने एक बार फिर वैश्विक संस्थाओं में सुधार और आतंकवाद का मुद्दा उठाकर विश्व के देशों का ध्यान खींचा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button