ज्योतिरादित्य सिंधिया की गैरमौजूदगी पर कांग्रेस ने साधा निशाना

ग्वालियर। कोरोना वायरस महामारी के बीच ग्वालियर में भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया की गैरमौजूदगी के कारण राजनीतिक उथल-पुथल लगातार बढ़ती जा रही है। हाल ही में मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ के करीबी कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर जारी कर सिंधिया की गुमशुदगी पर सवाल उठाए थे। इस पर प्रद्युम्न सिंह तोमर (मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी) ने जोरदार जवाबी हमला बोला। उन्होंने कहा कि महाराज दिल्ली में बैठकर सारी व्यवस्थाएं कर रहे हैं।
शिवराज सरकार में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि भले ही भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया दिल्ली में हैं, लेकिन प्रदेश के लोगों के लिए अस्पतालों में ऑक्सीजन, रेमडेसीर इंजेक्शन और बेड देने के साथ ही अधिकारियों, मरीजों और उनके परिजनों से लगातार बात कर रहे हैं। इतना ही नहीं कोरोना महामारी के दौरान जब मौका मिला तो वे भी ग्वालियर आए और कई अहम फैसले लिए। इसके साथ तोमर ने कहा कि महाराज दिखावा नहीं करते और लोगों की सच्ची सेवा करने के लिए आगे आना जरूरी है।
कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने शनिवार को ट्विटर और फेसबुक पर सिंधिया पर हमला करते हुए लिखा, संकट के समय मध्य प्रदेश में उन्हें मत ढूंढो सिंधिया जी अपने निजी कार्यो से विदेश में हैं। हम भी अपने घरों में कैद होकर बैठ सकते थे। हम भी आप की तरह चार्टर उड़ान से विदेश भाग सकते थे । कमलनाथ के मीडिया कोऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने भी हंसी-मज़े लिए थे।
इससे पहले कमलनाथ के मीडिया कोऑर्डिनेटर नरेंद्र सलूजा ने सिंधिया को ताना मारा था। सलूजा ने अपने ट्वीट में ज्योतिरादित्य सिंधिया की एक तस्वीर शेयर की है, जिसमें वह बीजेपी की सदस्यता लेने के बाद पीएम मोदी से मिलने आई थीं। इस फोटो को शेयर करते हुए सलूजा ने लिखा, मैंने भी मंत्री पद का इंतजार करते हुए 15 महीने पूरे कर लिए हैं। सौदा कब पूरा होगा? अब आप सडक़ पर आने की बात भी नहीं कर सकते, क्योंकि आप इसे सडक़ पर ही ले आए हैं। आपके डर से मैंने मॉडर्न इंडिया के निर्माता और भारत रत्न को भी ट्वीट से हटा दिया था।
बता दें कि कांग्रेस छोडक़र बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया को 15 महीने पूरे हो गए हैं, लेकिन सिंधिया के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने की अटकलों का दौर 15 महीने बाद भी खत्म नहीं हुआ है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस को सिंधिया के जख्मों को कुरेदना का मौका मिल गया है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने का समय चुना है और सिंधिया को इस बहाने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने का ताना मारा है।

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