यूपी चुनाव में अबकी बढ़ जाएंगे करीब एक करोड़ मतदाता

  • पांच जनवरी को अंतिम सूची प्रकाशित होगी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 के मुकाबले 2022 के विधानसभा चुनाव में करीब एक करोड़ मतदाता बढ़ जाएंगे। पिछले चुनाव के दौरान कुल 14.16 करोड़ मतदाता थे, जबकि अगले वर्ष 2022 में होने वाले चुनाव में 15 करोड़ से अधिक मतदाता होने की उम्मीद है। मतदाता संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान से पहले एक नवंबर 2021 को जारी अंतिम मतदाता सूची में ही प्रदेश में 14.71 करोड़ मतदाता थे। अभियान के दौरान करीब 74 लाख आवेदन आए हैं। इनमें भी नए मतदाता बनने के लिए करीब 52 लाख आवेदन जमा हुए हैं। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन पांच जनवरी को किया जाएगा।

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 के विधासभा चुनाव की तैयारी में जुटे भारत निर्वाचन आयोग ने एक जनवरी 2022 को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले युवाओं को मतदाता बनाने और मौजूदा मतदाताओं के नामों में किसी भी प्रकार की त्रुटि को ठीक करने के लिए मतदाता सूची का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान चलाया था। इस अभियान के दौरान करीब 74 लाख आवेदन जमा हुए हैं। इनमें नए नाम जोड़ने के अलावा स्वर्गवासी हो गए लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाने के आवेदन शामिल हैं। एक नवंबर को जारी अंतिम मतदाता सूची में कुल 14.71 करोड़ मतदाता थे। इनमें 7.92 करोड़ पुरुष व 6.79 करोड़ महिलाएं शामिल हैं। थर्ड जेंडर की संख्या 7833 थी।

अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी डा. ब्रह्मदेव राम तिवारी ने बताया कि नवंबर भर चले अभियान के दौरान सभी 1.74 लाख पोलिंग बूथ पर मतदाता बनाने का अभियान चलाया गया था। कुल जमा हुए आवेदन पत्रों की जांच-पड़ताल चल रही है। सूत्रों के अनुसार करीब 50 लाख नए मतदाताओं के नाम जोड़े गए हैं जबकि 20 लाख नाम काटे गए हैं। ऐसे में प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या लगभग 15 करोड़ से अधिक रहने की उम्मीद है।

सजायाफ्ता बंदियों को छोड़ने में नहीं होगी गलती : आरके तिवारी

  •  फांसी की सजा पाए कैदियों को पैरोल पर छोड़ने के मामले में मुख्य सचिव ने हाईकोर्ट में दिया जवाब

लखनऊ। फांसी के चार सजायाफ्ता बंदियों को कोरोना काल में तीन बार पैरोल पर छोड़े जाने के मामले में तलब प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने हाईकोर्ट में कहा कि यह एक गलती थी। वह ऐसे मामले में पूरी सावधानी बरतेंगे। उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि भविष्य में ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी। उनके इस आश्वासन पर कोर्ट ने इस मुद्ïदे की जांच का आदेश नहीं दिया। गौरतलब है कि मामले में समुचित हलफनामा न दाखिल करने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सख्त नाराजगी जताकर मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी को तलब किया था। कोर्ट के आदेश पर वह न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ के समक्ष पेश हुए थे और यह आश्वासन दिया था।

खंडपीठ ने फांसी के चारों सजायाफ्ता बंदियों की अपीलों व सजा की पुष्टि के लिए सत्र अदालत से भेजे गए संदर्भ पर विस्तार से सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया। अब कोर्ट इन पर अपना निर्णय सुनाएगी। कोर्ट के आदेश के तहत चारों सजायाफ्ता 15 दिसंबर को जेल भेजे जा चुके हैं। हाईकोर्ट ने पहले कहा था कि यह गंभीर सरोकार का मामला है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सहारा लेकर हत्या के जुर्म में फांसी के सजा पाए बंदियों को राज्य सरकार ने पैरोल पर रिहा कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सिर्फ सात साल तक की सजा पाने वालों को लेकर था।

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