सेना में महिलाओं का योगदान बढ़ा : राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री ने झांसी में राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व का किया शुभारंभ

लखनऊ। प्रदेश के झांसी में महारानी लक्ष्मीबाई के जन्मोत्सव का झांसी जलसा शुरू हो गया है। इस तीन दिवसीय राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व और सेना की शस्त्र प्रदर्शनी का शुभारंभ करने के लिए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आयोजित कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सेना में महिलाओं के लिए दरवाजे खोले जा रहे हैं। हमारी सरकार ने सेना के तीनों अंगों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई है। सैनिक स्कूलों में बच्चों का को-एडमिशन भी दिया जा रहा है। दुर्भाग्य से आजादी के बाद महिलाओं को राष्ट्र की रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर नहीं मिला लेकिन अब स्थिति तेजी से बदल रही है। पीएम नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से हमारी सेना में महिलाओं का योगदान बढ़ रहा है। पुणे में मौजूद देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान नेशनल डिफेंस एकेडमी में महिलाओं के लिए दरवाजे खोले गए हैं।

राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछली सरकारों में महिलाएं सेना में स्थायी कमीशन की मांग कर रही थीं। सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया गया है। अब योग्य और मेरिट के आधार पर महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन दिए जाने की व्यवस्था बनी है। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था जब देश 65 से 70 फीसदी रक्षा साम्रगी आयात होती थी। आज तस्वीर बदल गई है। हमने तय किया है, चाहे स्थिति कैसी भी हो, 64 फीसदी तक दुनिया के दूसरे देशों से आयात नहीं करेंगे। भारत की धरती पर बने रक्षा साम्रगियों का इस्तेमाल होगा।

राष्ट्र रक्षा हम सबका मूल धर्म : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि झांसी की जब चर्चा होती है तो भारत के शौर्य, पराक्रम, वीर और वीरांगनाओं की धरती की रूप में झांसी की पहचान होती है। राष्ट्र रक्षा हम सबका मूल धर्म है। राष्ट्र धर्म ही हमारा धर्म है। इस धर्म का पालन करके ही हम न केवल वर्तमान को बल्कि आने वाले भविष्य को भी सुरक्षित रख सकते हैं।

रानी लक्ष्मीबाई का अमृत वाक्य मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी सभी भारतीयों के मन को मातृभूमि के प्रति समर्पण का भाव पैदा करता है। झांसी की इस वीर भूमि पर आयोजित यह राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व देश की रक्षा के प्रति हमारे संकल्प और समर्पण के साथ-साथ भारतवासियों के शौर्य, पराक्रम, त्याग और बलिदान की अद्ïभुत परंपरा का उत्सव है।

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