तो क्या गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा देंगे इस्तीफा!

  • लखीमपुर हिंसा मामले में एसआईटी के खुलासे से विपक्ष आग बबूला
  • चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत को एसआईटी ने बताया हत्या की साजिश
  • हादसे की धारा हटाई, गृह राज्य मंत्री के बेटे पर है किसानों को कुचलकर मारने का आरोप
  • विपक्ष ने केंद्र सरकार से मंत्री को बर्खास्त और गिरफ्तार करने की उठायी मांग

4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। हाई प्रोफाइल लखीमपुर हिंसा मामले में एसआईटी की रिपोर्ट से प्रदेश का सियासी पारा फिर चढ़ गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हादसा नहीं बल्कि एक हत्या की सोची-समझी साजिश थी। साथ ही जांच टीम ने मामले में नई धाराएं बढ़ा दी हैं। इस खुलासे के बाद विपक्ष ने एक बार फिर केंद्र और प्रदेश सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। विपक्ष ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने और उनकी गिरफ्तारी की मांग उठायी है। साथ ही प्रदेश सरकार पर मंत्री और उनके बेटे को बचाने का आरोप लगाते हुए केंद्र से प्रदेश सरकार को भी तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है।

लखीमपुर हिंसा की जांच कर रही एसआईटी के मुख्य जांच अधिकारी विद्याराम दिवाकर ने साफ कर दिया है कि बारीकी से जांच करने पर स्पष्ट है कि लापरवाही से गाड़ी चलाते हुए कुचलने का मामला दुघर्टना नहीं है। यह भीड़ को कुचलने, हत्या करने और हत्या के प्रयत्न के साथ अंग-भंग करने की साजिश का साफ-साफ मामला है इसलिए केस को परिवर्तन करते हुए हत्या और हत्या के प्रयास के साथ ही अंग भंग करने की धाराएं लगाई जानी चाहिए।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हादसे से जुड़ी धाराओं को हटाया जा रहा है। जेल में बंद आरोपियों पर जानलेवा हमला करने और अंग-भंग करने की धाराएं बढ़ाई जाती हैं, जिनमें 120बी, 307, 34, 326 आईपीसी की धाराएं बढ़ाई गई हैं। यही नहीं बढ़ाई गई धाराओं में आरोपियों की रिमांड लेने के लिए विवेचक ने कोर्ट में अर्जी दी है। इस पर कोर्ट ने आरोपियों को तलब किया है। सवाल यह है कि साजिश से इंकार करने वाले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री इस खुलासे के बाद क्या इस्तीफा देंगे?

यह है मामला

लखीमपुर हिंसा मामले में चार किसान और एक पत्रकार की हत्या में गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के पुत्र आशीष मिश्रा पर मुकदमा दर्ज हुआ था जिसमें धारा 302, 304ए, 147, 148, 149, 279, 338 और 120बी लगी हुई थी। इन्हीं धाराओं में एसआईटी ने आशीष मिश्रा उर्फ मोनू, अंकित दास और सुमित जायसवाल समेत सभी आरोपियों को जेल भेजा था लेकिन अब एसआईटी ने जेल में बंद सभी आरोपियों पर धारा 307 (जानलेवा हमला) धारा 326 (अंग-भंग करना) और धारा 34 (एक राय) का अपराध दर्ज किया है। तीन अक्टूबर को हुई इस घटना में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हुई थी।

कांग्रेस पार्टी पहले दिन से कह रही थी कि लखीमपुर में किसानों की साजिशन हत्या की गयी। एसआईटी की रिपोर्ट ने इसकी पुष्टिï कर दी है। अब पीएम मोदी को तय करना कि वे अपने गृह राज्य मंत्री का इस्तीफा लेते हैं या नहीं। सच यह है कि मोदी कैबिनेट में अपराधियों और दुराचारियों का गुलदस्ता बनाया जा रहा है अगर इस्तीफा लेना होता तो केंद्र सरकार यह काम बहुत पहले कर चुकी होती।
दीपक सिंह, एमएलसी, कांग्रेस

घटना के समय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने कहा था कि अगर मेरा बेटा दोषी होगा तो इसकी सजा मुझे दी जाए। एसआईटी रिपोर्ट से साफ है कि किसानों की हत्या की साजिश में गृह राज्य मंत्री और उनका बेटा शामिल है। गृह राज्य मंत्री को तत्काल बर्खास्त करना चाहिए।
आईपी सिंह, राष्टï्रीय प्रवक्ता, सपा

एसआईटी ने साजिश की पुष्टिï की है। गृह राज्य मंत्री को न केवल बर्खास्त किया जाना चाहिए बल्कि उनको गिरफ्तार किया जाए। इसके अलावा मंत्री और उनके बेटे को बचाने की कोशिश में लगी रही प्रदेश की सरकार को भी बर्खास्त किया जाए।
अनुपम मिश्रा, राष्टï्रीय संयोजक, टीम आरएलडी

लखीमपुर हत्याकांड को सबने देखा, इसके बाद भी गृह राज्य मंत्री लखनऊ में आराम से गृहमंत्री के बगल में मंच पर बैठकर डीजीपी की कॉन्फ्रेंस अटेंड करते हैं, इस बेशर्मी का नाम ही भाजपा है। रिपोर्ट के बाद इनको बर्खास्त किया जाना चाहिए ताकि हत्याकांड की जांच प्रभावित न हो।
वैभव माहेश्वरी, प्रवक्ता, आप

सांसदों के निलंबन के विरोध में विपक्ष का मार्च

  • राहुल बोले, कुचली जा रही जनता की आवाज

4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। सांसदों के निलबंन का मुद्दा गरमाता जा रहा है। निलंबर को रद्द करने को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर दबाव बना रहा है। दोनों सदनों के विपक्षी सांसदों ने आज संसद भवन परिसर से विजय चौक तक मार्च निकाला। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी विपक्ष द्वारा आयोजित विजय चौक मार्च में शामिल हुए। राहुल ने कहा कि 12 सांसदों का निलंबन भारत की जनता की आवाज को कुचलने का प्रतीक है। उनकी आवाज दबा दी गई। उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है। हमें संसद में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

उन्होंने कहा, हंगामे के बीच संसद में बिलों के बाद बिल पास हो रहे हैं। यह संसद चलाने का तरीका नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में नहीं आते हैं। हमें राष्ट्रीय महत्व के किसी भी मुद्दे को उठाने की अनुमति नहीं है। यह लोकतंत्र की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या है। गौरतलब है कि विपक्षी दलों ने आज सांसदों के निलंबन के विरोध में मार्च निकालने की घोषणा की थी।

सदन में हंगामा

संसद में 12 सांसदों के निलंबन को रद्द करने की मांग को लेकर आज भी विपक्ष ने हंगामा किया। विपक्ष की नारेबाजी के बीच राज्यसभा दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। सभापति.एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सदन में शालीनता और मर्यादा बनाए रखें। अनियंत्रित और असंसदीय व्यवहार बिल्कुल भी सहन नहीं किया जाएगा। वहीं राज्य सभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, राज्य सभा के अध्यक्ष के पास किसी भी नियम को निलंबित करने और निर्देश जारी करने का पूरा अधिकार है लेकिन सरकार उसे ऐसा करने नहीं दे रही है। मैं सभापति से इन 12 निलंबित सांसदों को सदन में वापस लाने के लिए अपनी शक्तियों का उपयोग करने का अनुरोध करता हूं।

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