चार विधायकों के सहारे यूपी चुनाव को धार देने में जुटी बसपा

2017 के चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन रहा था खराब

  • 19 की जगह अब बाकी रह गए बस चार विधायक
  • जमाली के इस्तीफे के बाद उमाशंकर को बनाया विधान मंडल दल का नेता

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। यूपी चुनाव से पहले बसपा की मुसीबत बढ़ गई है। 2017 के विधान सभा चुनाव में बसपा को सिर्फ 19 सीटें मिली थी मगर ज्यादातर विधायक अब मायावती का साथ छोड़ चुके हैं। पार्टी में अब सिर्फ चार विधायक रह गए हैं। ऐसे में यह चुनाव मायावती के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट के विधायक शाह आलम उर्फ गुड्ïडू जमाली के जाने के बाद बसपा में बस चार विधायक ही रह गए हैं।

इनमें से उमाशंकर सिंह को बसपा प्रमुख मायावती ने नेता विधानमंडल घोषित किया है। चुनावी समर में एक तरफ जहां बाकी दलों में सियासतदां अपना राजनीतिक कैरियर तलाशने को शामिल हो रहे हैं तो दूसरी तरफ बसपा में दिग्गज लगातार पार्टी छोड़ रहे हैं। विधायक गुड्ïडू जमाली के भी किनारा कर लेने के बाद बसपा में केवल चार विधायक रह गए हैं। उधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने उमाशंकर सिंह को पार्टी का नेता विधानमंडल दल घोषित किया है। चार बार सत्ता के शिखर तक पहुंची बसपा इस समय संकट से जूझ रही है।

चुनाव से पहले पार्टी में भगदड़

दरअसल, उसके सिपहसालार लगातार पार्टी छोडक़र दूसरे दलों में जा रहे हैं। यूपी विधान सभा चुनाव से ऐन पहले पार्टी में भगदड़ की स्थिति है। दस साल में ही पार्टी छोडऩे वाले महारथियों का सैकड़ा पार हो चुका है। गत दिवस पार्टी आजमगढ़ जिले की मुबारकपुर सीट के विधायक शाह आलम उर्फ गुड्ïडू जमाली ने भी त्यागपत्र दे दिया। गुड्ïडू पार्टी के विधान मंडल दल के नेता भी थे। उनके जाने के बाद पार्टी में बस चार विधायक ही रह गए हैं। श्याम सुंदर शर्मा, उमाशंकर सिंह, विनय शंकर तिवारी, आजाद अरिमर्दन ही फिलहाल पार्टी में सक्रिय विधायक रह गए हैं। इनमें से उमाशंकर सिंह को बसपा प्रमुख मायावती ने नेता विधान मंडल घोषित किया है। बलिया के रसड़ा विधान सभा क्षेत्र के विधायक उमाशंकर सिंह लगातार दो बार चुनाव जीते हैं। इनसे पहले पार्टी ने जिन दो विधायकों को नेता विधानबमंडल बनाया, वे दोनों ही बसपा छोड़ गए।

कभी 19 विधायक थे

2017 के विधान सभा चुनाव में बसपा का प्रदर्शन खराब था। कुल 19 सीटें बसपा ने जीतीं थी और इसमें भी एक सीट अंबेडकरनगर जिले के उपचुनाव में पार्टी हार गई थी। यानी पार्टी के पास विधायकों की संख्या 18 रह गई थी। पहले अलग-अलग समय पर पार्टी विरोधी गतिविधियों की बात कहकर 9 विधायकों को निलंबित किया गया। उसके बाद लालजी वर्मा और राम अचल राजभर का निष्कासन हुआ और दोनों ने ही सपा ज्वाइन कर ली। एक और विधायक मुख्तार अंसारी को पार्टी भविष्य में चुनाव न लड़ाने का ऐलान कर चुकी है। उनके भाई और भतीजे ने सपा का दामन थामा तो मायावती ने यह कदम उठाया। विधायक सुखदेव राजभर का निधन हो चुका है। ऐसे में बसपा के पास बस चार विधायक ही रह गए हैं।

मुस्लिमों के साधने के लिए मायावती ने जमाली पर लगाया था दांव

पार्टी ने जून में जमाली को विधानमंडल दल का नेता तब बनाया था, जब पार्टी के तत्कालीन विधान मंडल दल नेता लालजी वर्मा ने बसपा छोडक़र सपा का दामन थाम लिया था। उन्हें निष्कासित कर जमाली पर दांव लगाकर बसपा ने मुस्लिमों को साधने की कोशिश की थी, पर यह समीकरण छह माह भी नहीं चल पाया। जमाली प्रदेश में सबसे अधिक चल-अचल संपत्ति वाले विधायक हैं। एसोसिएशन फार डेमोके्रटिक रिफॉर्म (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक जमाली के पास 118 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति है। इसमें 1.11 अरब की चल व 6.92 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है।

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