मुकुल के सहारे त्रिपुरा में भाजपा को नुकसान पहुंचाने की तैयारी

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में बीजेपी की हार के बाद पार्टी में खलबली मची हुई है और अब इसका असर त्रिपुरा तक पहुंच रहा है। सूत्रों के मुताबिक त्रिपुरा बीजेपी में अपने लोगों को टूटने से बचाने के लिए संगठन स्तर पर बड़ा बदलाव हो सकता है, साथ ही मंत्रिमंडल विस्तार की बात भी हो रही है। दिल्ली से त्रिपुरा गए पार्टी के वरिष्ठ नेता से भी नाराज लोगों ने साफ कहा कि राज्य में संगठन नेतृत्व को बदला जाना चाहिए।
त्रिपुरा बीजेपी में लंबे समय से उथल-पुथल चल रही है। पार्टी विधायक कई बार मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। सीएम बदलने की मांग को लेकर त्रिपुरा भाजपा के विधायक दिल्ली पहुंचे। इस पर कई बार केंद्रीय नेतृत्व के सामने खुलकर नाराजगी जाहिर की जा चुकी है। अब माना जा रहा है कि संगठन स्तर पर बदलाव होगा और नाराज लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार होगा।
त्रिपुरा भाजपा के एक नेता ने कहा कि हम सभी ने राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष से मुलाकात की और कहा कि त्रिपुरा में एक ऐसे प्रदेश अध्यक्ष की जरूरत है जो संगठन को मजबूत रख सके। उन्होंने कहा कि मौजूदा अध्यक्ष माणिक साहा एक अच्छे इंसान हैं लेकिन हमें एक मजबूत नेता की जरूरत है जो सरकार के कामकाज पर भी सख्ती से नजर रख सके। बीएल संतोष बुधवार को दो दिवसीय दौरे पर त्रिपुरा पहुंचे और वहां छोटे-छोटे समूहों में लोगों से बात की। कुछ नाराज लोगों से वन टू वन बातचीत भी हुई।
चर्चा यह भी हो रही है कि तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल के साथ-साथ त्रिपुरा में भी बीजेपी के लोगों को तोडऩे की कोशिश कर रही है। इसकी जिम्मेदारी मुकुल रॉय ने संभाली है, जो हाल ही में बीजेपी से तृणमूल में लौटे थे। भाजपा के एक नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल जैसे हालात त्रिपुरा में नहीं हैं। यहां बीजेपी सत्ता में है। हम मुकुल रॉय को लेकर चिंतित नहीं हैं क्योंकि त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस का कोई खास असर नहीं है। उन्होंने कहा कि जो चर्चा चल रही है कि मुकुल राय हमारे विधायकों को तोड़ देंगे, उसमें कोई योग्यता नहीं है।
बीजेपी ने 2018 में त्रिपुरा में लेफ्ट के 25 साल पुराने किले को ध्वस्त किया और त्रिपुरा में पहली बार सरकार बनाई। सरकार बनने के साथ ही संगठन के भीतर भी उथल-पुथल शुरू हो गई, जो कई बार खुले में भी आने लगी। बीजेपी अब अपने घर को यहीं रखने के लिए संगठन स्तर पर बड़े बदलाव कर सकती है।

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