महामारी से चरमरायी चिकित्सा व्यवस्था

sanjay sharma

सवाल यह है कि तमाम दावों के बावजूद प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था मरीजों को इलाज क्यों नहीं उपलब्ध करा पा रही है? कैंसर और किडनी जैसे गंभीर रोगी इलाज के लिए भटक क्यों रहे हैं? टीकाकरण के नाम पर खानापूर्ति क्यों की जा रही है? कोरोना की जांच रिपोर्ट में लेटलतीफी क्यों की जा रही है? अस्पतालों में अव्यवस्था का आलम क्यों है?

देश में कोरोना की रफ्तार रिकॉर्ड तेजी से बढ़ रही है। अब तक 42 लाख से अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं जबकि मौतों का आंकड़ा 71 हजार के पार हो चुका है। उत्तर प्रदेश में भी कोरोना का कहर जारी है। प्रदेश में ढाई लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि 3843 लोगों की मौत हो चुकी है। बढ़ते संक्रमण के कारण प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई है। कोरोना संक्रमितों व गंभीर रोगों से पीडि़त मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने के कारण बिना इलाज कई मरीजों की मौत चुकी है। सवाल यह है कि तमाम दावों के बावजूद प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था मरीजों को इलाज क्यों नहीं उपलब्ध करा पा रही है? कैंसर और किडनी जैसे गंभीर रोगी इलाज के लिए भटक क्यों रहे हैं? टीकाकरण के नाम पर खानापूर्ति क्यों की जा रही है? कोरोना की जांच रिपोर्ट में लेटलतीफी क्यों की जा रही है? अस्पतालों में अव्यवस्था का आलम क्यों है? क्या चिकित्सकों और अन्य मेडिकलकर्मियों की कमी के कारण स्थितियां बदतर होती जा रही है? क्या सरकार को इस पर गंभीरता से काम करने की जरूरत महसूस नहीं हो रही है?
अनलॉक के साथ ही प्रदेश में कोरोना की रफ्तार कई गुना तेजी से बढ़ी है। मौतों का आंकड़ों भी बढ़ा है। मरीजों की बढ़ती संख्या से अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं ध्वस्त हो गई हैं। कोरोना संदिग्धों की रिपोर्ट समय पर नहीं मिल रही है। वहीं अन्य रोगियों की जांच नहीं होने के कारण उनको समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। कोविड अस्पतालों की हालत बदतर होती जा रही है। कई अस्पतालों में गंदगी का अंबार लगा है। ये संक्रमण को बढ़ा रहा है। वहीं बारिश के मौसम के कारण डेंगू और मलेरिया ने भी अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। इन मरीजों को नॉन कोविड अस्पतालों में भी इलाज नहीं मिल पा रहा है। पहले से ही चिकित्सकों और मेडिकलकर्मियों की कमी से जूझ रही चिकित्सा व्यवस्था चिकित्सकों के संक्रमित होने से और बदतर होती जा रही है। कोरोना काल में बच्चों के टीकाकरण का अभियान भी बेपटरी हो चुका है। पोलियो अभियान पर लगभग ब्रेक लग चुका है। लोग संक्रमण के डर से बच्चों को टीका लगवाने अस्पतालों में नहीं जा रहे हैं। इससे बच्चों की सेहत पर खतरनाक असर पड़ सकता है। जाहिर है यदि सरकार जनता को बेहतर चिकित्सा उपलब्ध करना चाहती है तो उसे न केवल संसाधनों को बढ़ाना होगा बल्कि जल्द से जल्द अस्पतालों में चिकित्सकों की संख्या बढ़ानी होगी साथ ही अन्य रोगों के मरीजों के लिए बेहतर चिकित्सा का इंतजाम भी करना होगा।

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